
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर । छत्तीसगढ़ में बिना हेलमेट पेट्रोल न दिए जाने के फरमान पर सियासत तेज हो गई है। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने इस नियम को “दुगलकी नीति” बताते हुए भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की सरकार ने ट्रैफिक पुलिस का काम पेट्रोल पंप संचालकों को सौंप दिया है, जिससे आम उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
विकास उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश सरकार ने अब तक कोई आधिकारिक आदेश जारी नहीं किया है, फिर भी पेट्रोल पंपों पर यह नियम लागू करवा रही है। “यह जनता के अधिकारों का हनन है। मोटर व्हीकल एक्ट साफ कहता है कि हेलमेट की अनिवार्यता लागू करना पुलिस का काम है, पंप संचालकों का नहीं,” उन्होंने कहा।
“दलाल सक्रिय, 10 रुपये में किराये पर हेलमेट”
उपाध्याय ने आरोप लगाया कि इस नियम से पेट्रोल पंपों के पास दलाल सक्रिय हो गए हैं, जो पेट्रोल भरवाने के लिए 10 रुपये किराये पर हेलमेट उपलब्ध करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह पूरा खेल हेलमेट कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए रचा गया है।
“पेट्रोल पंप अनिवार्य सेवा, ट्रैफिक थाना नहीं”
पूर्व विधायक ने कहा कि पेट्रोल पंप हमेशा “अनिवार्य सेवा” की श्रेणी में रहे हैं। लेकिन अब बिना हेलमेट पेट्रोल नहीं दिए जाने का नियम लगाकर सेवा को शर्तों से बाँधा जा रहा है। “उपभोक्ता पेट्रोल के लिए पैसे दे रहा है, यह उसका अधिकार है। पेट्रोल पंप अनिवार्य सेवा है, ट्रैफिक थाना नहीं,” उन्होंने जोड़ा।
आंदोलन की चेतावनी
विकास उपाध्याय ने कहा कि यह नियम न तो सड़क सुरक्षा को बढ़ा रहा है और न ही लोगों में हेलमेट पहनने की वास्तविक आदत डाल पा रहा है। लोग केवल जुगाड़ से पेट्रोल ले रहे हैं और पंप संचालक गालियाँ खा रहे हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने यह फरमान जल्द वापस नहीं लिया तो वे मध्यम वर्गीय बाइक सवारों के साथ सड़क पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे।
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