
राजस्थान राजनीति: लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीतने के लिए और सत्ता में आने के लिए राजनीतिक पार्टियां आपमें किस तरह का व्यवहार है, इसके बारे में सभी जानते हैं। कोई भी मौका हो राजनीतिक भागीदारी एक दूसरे को दिखाकर कोई कसर नहीं छोड़ता है। यहां तक कि प्रभावित होने की स्थिति बन जाती है, लेकिन ऐसे दिग्गज नेता भी हैं जो अपनी राजनीतिक परिपक्वता का उदाहरण पेश करते हैं।
ऐसा ही किस्सा आधुनिक राजस्थान के निर्माता कहने वाले पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया (मोहन लाल सुखाड़िया) और जनसंघ के समय से बीजेपी के दिग्गज नेता पूर्व सांसद भानुकुमार शास्त्री (भानु कुमार शास्त्री) का है। जिसका उन्होंने राजनीतिक परिपक्वता और सहनशीलता का एक बेहतरीन उदाहरण दिया था। उन्होंने एक मंच से दोनों नामांकन के लिए भाषण दिया था, यह एक कमरे में रुके भी नहीं थे।
दोनों ने एक मंच से भाषण दिया था
भाजपा प्रदेश मीडिया प्रकोष्ठ के पूर्व सदस्य विजय प्रकाश विप्लवी से स्वयं भानु कुमार शास्त्री ने इस किस्से को साझा किया था, स्वयं विप्लवी वर्षों से शास्त्री के सहयोगी थे। उन्होंने बताया कि यह बात सन 1980 के लोकसभा चुनाव की है। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री मोहन लाल सुझाविया दशकों से कांग्रेस के पक्ष में थे। उनके सामने जनता पार्टी के मौजूदा सांसद भानुकुमार शास्त्री थे। संयोग से राजसमन्द जिले के कुंभलगढ़ विधानसभा क्षेत्र केलवाड़ा में एक समय और एक ही स्थान पर दोनों की आम सभा तय हो गई। केलवाड़ा जैसे पहाड़ी कस्बे में वह आम सभा का एकमात्र स्थान था। दोनों पार्टियों के कार्यकर्ता अपने झंडे और बैनर लेकर मंच बनाने को लेकर हो रहे विवाद में डटे थे।
इसी बीच भानुकुमार शास्त्री और मोहनलाल सुखाड़िया पहुंचे। दोनों ने अकेले में बात की थी कि क्या हल करें? बाहर आने वाले भानुकुमार शास्त्री ने घोषणा की थी कि पहले पूर्व मुख्यमंत्री सदियाड़िया बोलेगें। इस फैसले से अपने दाखिले को भानुकुमार शास्त्री ने मनाया। पूर्व मुख्यमंत्री सुखाड़िया ने अपने भाषण में कहा कि मेरे भाषण के बाद मंच पर झंडा और बेनर बदलेगा। फिर भानुकुमार शास्त्री का भाषण होगा। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस कार्यकर्ता भानुकुमार शास्त्री का भाषण सुनकर ही यहां से जायें। उसके बाद उसी मंच और माईक से भानुकुमार शास्त्री का भाषण हुआ।
कमरे में एक साथ दोनों थे
पूर्व मुख्यमंत्री छतिया दिनभर का दौरा करके रात में केलवाड़ा डाक बंगले में पहुंचे, तो वहां के कर्मचारियों ने बताया कि कमरा खाली नहीं है, सांसद भानुकुमार शास्त्री पोर्टफोलियो हैं। पूर्व मुख्यमंत्री की बात सुनकर भानुकुमार शास्त्री बाहर आ गए और उनसे कहा कि हम एक ही कमरे में सामान लेकर जाते हैं। फिर वह दोनों उसी कमरे में रुके। पुरानी पीढ़ी की राजनीतिक विश्वसनीयता और सहनशीलता का यह उत्कृष्ट उदाहरण है और क्या हो सकता है।
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