
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर । छत्तीसगढ़ में खाद और डीएपी की भारी कमी को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। पूर्व कृषि मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रवींद्र चौबे ने इस संकट के लिए सीधे तौर पर राज्य की भाजपा सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसान बिना डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) के धान की बोआई करने को मजबूर हैं।
मीडिया से बातचीत के दौरान चौबे ने कहा, “सुशासन की बात करने वाली सरकार में किसान हित की कोई चिंता नहीं है। आज हालत यह है कि प्रदेश के किसान खाद के लिए संघर्ष कर रहे हैं, और सरकार को यह भी नहीं पता कि बैठक कब करनी है और खाद की व्यवस्था कब करनी चाहिए।”
“DAP की कालाबाज़ारी जोरों पर, किसान आंदोलन की तैयारी में”
पूर्व कृषि मंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि बाजार में डीएपी की कालाबाजारी हो रही है, जिससे किसानों को एमआरपी से अधिक दाम पर खाद खरीदनी पड़ रही है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द खाद की समुचित आपूर्ति नहीं हुई, तो खरीफ फसलें संकट में पड़ जाएंगी और किसान आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
चौबे ने कहा, “किसान मौसम पर आधारित खेती करते हैं और वर्तमान में खरीफ की लगभग 60 से 65% बोआई हो चुकी है। परंतु आज भी डीएपी का संकट बना हुआ है। सरकार के पास न दूरदृष्टि है, न तैयारी।”
“मार्कफेड को देना चाहिए था अग्रिम ऑर्डर”
उन्होंने याद दिलाया कि पहले की सरकारें मार्कफेड के माध्यम से खाद कंपनियों को समय पर ऑर्डर देती थीं, ताकि किसानों को सीजन शुरू होते ही खाद मिल सके। लेकिन वर्तमान सरकार की लापरवाही के कारण यह पूरी प्रणाली चरमरा गई है।
“पहली बार किसान बिना डीएपी के धान बो रहे हैं। अगर सरकार ने अब भी ध्यान नहीं दिया, तो आने वाले दिनों में खाद संकट गंभीर रूप ले सकता है,” चौबे ने कहा।
संपादकीय टिप्पणी:
DAP और खाद की कमी केवल कृषि उत्पादकता ही नहीं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा के लिए भी खतरा बन सकती है। यह देखना अहम होगा कि राज्य सरकार इस संकट से निपटने के लिए क्या त्वरित कदम उठाती है।
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