
UNITED NEWS OF ASIA. भूपेंद्र साहू, कोरबा | जो 44% वनों से आच्छादित है और जहाँ 70% जनसंख्या कृषि पर निर्भर है, वहां सांपों से आमना-सामना होना आम बात है। लेकिन इसके साथ सर्प दंश की घटनाएं भी तेजी से बढ़ रही हैं, जिससे लोगों की मृत्यु दर में वृद्धि हो रही है।
पिछले 5 वर्षों में छत्तीसगढ़ में 17,000 से अधिक सर्प दंश के मामले दर्ज किए गए हैं और एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सर्प दंश से मृत्यु दर में छत्तीसगढ़ तीसरे स्थान पर है, जो बेहद चिंताजनक स्थिति है।
क्या हैं मुख्य कारण?
- जागरूकता की कमी
- सांपों की पहचान न कर पाना
- चिकित्सा केंद्रों तक देर से पहुंचना
- सर्प दंश के बाद सही इलाज का अभाव
2030 तक सर्प दंश से मौतों को आधा करने के लिए केंद्र सरकार का एक्शन प्लान
केंद्र एवं राज्य सरकार सर्प दंश से होने वाली मृत्यु दर को कम करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रही है। इसी दिशा में, कोरबा जिले में पहली बार सर्प दंश प्रबंधन कार्यशाला आयोजित की जा रही है, जिसमें छत्तीसगढ़ के कई जिलों के स्वास्थ्य विभाग के डॉक्टर, पीएचसी स्टाफ, विद्यार्थी, वन विभाग, राजस्व विभाग एवं विभिन्न संस्थाएं शामिल होंगी।
कार्यशाला की खास बातें
- तारीख: 24 मार्च 2025
- स्थान: राजीव गांधी ऑडिटोरियम, इंदिरा स्टेडियम, कोरबा
- प्रतिभागी: लगभग 500 डॉक्टर, नर्स एवं विशेषज्ञ
- मेजबान: कोरबा वन मंडल और नोवा नेचर वेलफेयर सोसाइटी
कार्यशाला में क्या होगा?
- सर्प दंश से जुड़ी समस्याओं पर गहन चर्चा
- विषय विशेषज्ञों द्वारा सर्प दंश की रोकथाम एवं इलाज पर मार्गदर्शन
- सरकार एवं संस्थानों के समन्वय से समाधान तलाशने पर जोर
यह कार्यशाला छत्तीसगढ़ में सर्प दंश से जुड़ी समस्याओं के समाधान की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगी।
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