
तेजतर्रार यादव
बिहार में जहरीली शराब पीने से हुई 40 लोगों की मौत पर किसी भी नेता को दुख नहीं है। उनसे गलती कहां हुई, बिहार में शराबबंदी फेल क्यों हो रही है इसकी जांच नहीं की गई। उन्हें सिर्फ इस मुद्दे को अच्छा से जुनाना है। इस मुद्दे के समाधान को छोड़ें पक्ष और एक दूसरे पर आरोप लगाने वाले आरोप लगा रहे हैं। 40 गरीब लोगों की जहरीली शराब पीने से जान चली गई। जिसके बाद बिहार की सियासत गर्म हो गई। रतन राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने भाजपा पर निशान साधे हुए दावा किया कि बिहार में जहरीली शराब पीने से मरने वालों का पात्र कम है, इससे ज्यादा भाजपा प्रचार राज्यों में है। उन्होंने संसद में पेश किए गए भ्रष्टाचारों का हवाला देते हुए कहा, “सबसे ज्यादा जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या मध्य प्रदेश और कर्नाटक में है। जहां पर भाजपा का शासन है। वहीं गुजरात में भी शराबबंदी है और वहां भी जहरीली शराब है।” बोलने का पात्र बिहार से ज्यादा है।
भाजपा के विवरण का विवरण दिया
टिकाऊ ने गृहराज्य मंत्री नित्यानंद राय के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि 19 जुलाई को संसद में नित्यानंद राय ने ही एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार बताया था कि 2016 से 2020 के बीच जहरीली शराब पीने से मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 1214 लोगों की मौत हुई हुआ, जिसके बाद कर्नाटक में 909 लोगों की जान चली गई। इन दोनों राज्यों में बीजेपी का शासन है। इसके बाद सूची में चौथे नंबर पर हरियाणा है जो कि भाजपा अल्पसंख्यक राज्य है।
गुजरात में भी शराबबंदी लेकिन वहां मरने वाले बिहार से भी ज्यादा
तेजस्वी यादव ने गुजरात में शराबबंदी को लेकर भाजपा सरकार की नाकामी पर कहा कि गुजरात में भी शराब की बिक्री पर रोक है, लेकिन इस दौरान वहां 50 लोगों की मौत हुई, जबकि बिहार में यह संख्या सिर्फ 21 थी। क्या भाजपा के सदस्य वहां के लिए साझेदार की मांग करेंगे? उन्होंने कहा कि जो गलत काम करेगा उसका गलत ही परिणाम मिलेगा। जिन राज्यों में शराबबंदी नहीं है वहां भी जहरीली शराब से फैला है, बिहार में तो शराबबंदी है।



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