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किसी और के दर्द को महसूस करके खुद का जमाना कुबूल करना ‘द गिल्टी’ – News18 हिंदी

अमेरिका और यूरोप में परिवार का संकल्प पिछले कुछ सालों में टूट गया है। अब सिर्फ लिव इन रिलेशनशिप, एक रिश्ते से दूसरे में भागीदारी, अवैध संबंध के बावजूद शादी के ये सभी परिवार खत्म कर चुके हैं। कम से कम फिल्मों को देख कर यही लगता है। ये बात पूरी तरह सच नहीं है। अभी भी परिवार हैं. माता पिता और उनके बच्चे या फिर बड़े माता पिता जो अपने बेटे या बेटी के साथ रहते हैं। परिवार से बिछड़ने का दुःख तो सब कुछ होता है। तलाक के बाद, अपने बच्चों से बिछड़ने का दुःख सबसे ज्यादा सालता है। टूटे हुए रिश्ते में अपने बच्चों की सुरक्षा का ख्याल, इससे भी आगे हैं। ये दुख आधार बना हुआ है नेटफ्लिक्स पर फिल्म ‘द गिल्टी’ का जारी। लगभग पूरी फिल्म एक ही कमरे में शूट की गई है और एक ही शख्स पर फोकस किया गया है क्योंकि फिल्म के हीरो को किसी और के दुःख से सहानुभूति है तो उसे अपनी याद आ जाती है। एक शानदार फिल्म है।

2018 की असंबद्ध फिल्म ‘द गिल्टी’ का रीमेक जारी किया गया। जापानी फिल्म निर्देशक अकीरा कुरोसावा की फिल्मों ने कई निर्देशकों को प्रभावित किया है। इन छिपे हुए गानों में से एक म्यूजिक वीडियो था जिसका निर्देशन एंटोनी फूका ने किया था। उनकी ही पहली फिल्म ‘प्रतिस्थापन किलर्स’ को सफलतम निर्माता-निर्देशक जॉन वू ने प्रदर्शित किया था। फूका की ज्यादातर फिल्में क्राइम थ्रिलर होती हैं। कोरोना काल में इस फिल्म को बनाने की वजह थे फिल्म के हीरो जैक गैलेनहाल, जो ओरिजिनल फिल्म के अधिकार पाने वाले थे। फूका ने पूरी फिल्म की शूटिंग मात्र 11 दिनों में पूरी कर ली थी और यही नहीं कोरोना की वजह से पूरी फिल्म एक वैन में बैठ कर दबंगों की मदद से निर्देशित की गई थी।

19 साल के एक लड़के की हत्या के इलज़ाम की वजह से लॉस एंजेलिस पुलिस विभाग के अधिकारी जो बेलर (जैक गैलेनहाल) को पुलिस विभाग में फोन से पत्र का काम देता है। केस कोर्ट में जा चुका है और जैक अपनी पत्नी और बेटी से अलग रहने के लिए मजबूर है। एक रात एक लड़की को एमिली का फोन आता है कि उसका अपहरण हो गया है और अपहर्ता उसे एक वैन लेकर हाईवे पर जा रहा है। जैक हाईवे पुलिस की मदद मांगता है मगर नंबर के गाडी का पता लगाना मुश्किल होता है। जैक उस लड़की के घर फोन लगाता है तो उसकी 6 साल की बेटी उससे कहती है कि उसकी मां तो पापा के साथ है। एमिली तक पहुंचने का कोई जरिया न होने की वजह से जैक परेशान रहता है और अपने मामलों की सुनवाई के बारे में सोचता रहता है। जैक के कहने पर पुलिस एमिली के घर की तलाशी लेती है तो उन्हें एमिली की बेटी मिलती है और एमिली का लहूलुहान बेटा है।

जैक के साथी, एमिली के पति के घर में ताला तोड़ कर घुसते हैं तो उन्हें टहलने में पता चलता है कि एमिली एक मानसिक रोगी है और उसका इलाज चल रहा है। दवाई लेने के पैसे न होने की वजह से एमिली ने अपने बेटे को मारा था और इसी वजह से अस्पताल में घूमकर उसका पति उसे ले जा रहा है। कुछ समय बाद एमिली फिर से जैक को फोन कर के कहती है कि वो आत्महत्या कर रहा है। जैक इस बार अपने फोन का पता लगाकर पुलिस को उसे बचाने के लिए भेज देता है। एमिली कहीं आत्म हत्या न कर ले इस लिए जैक उस से बात करता रहता है। एमिली की दास्तां नन जैक उसे अपने मामले के बारे में बताती है और ये भी स्वीकार करती है कि उसने ही 19 साल के एक लड़के को मारा था, उससे गुस्सा आ गया था और वो पुलिसवाला है इसलिए वो कुछ भी कर सकता है ये सोच उसने लड़के को खत्म कर दिया। हाईवे एमिली तक पहुंचकर उसे गिरफ्तार करती है। उदर एमिली के बेटे को पुलिस अस्पताल ले जाया जाता है और वो बच जाता है। इस पूरी घटना का जैक पर गहरा असर है और वो अपना साल क़ुबूल करने के लिए तैयार हो जाता है।

ओरिजिनल न्यूयॉर्क फिल्म की कहानी गुस्ताव मोलर और एमिली नायगार्ड अल्बर्टसन ने लिखी थी। गुस्ताव ने एक यूट्यूब वीडियो देखा था जिसमें एक अपहृत लड़की अपने अपहरणकर्ता के बगल में बैठ कर पुलिस को फोन करती है। इस वीडियो में साउंड सुना जाता है। सिर्फ आवाज़ के दम पर कोई क्या बता सकता है ये जानकर गुस्ताव ने मन ही मन एक कहानी रच डाली। विश्व के सबसे प्रसिद्ध पॉडकास्ट “सीरियल” ने भी गुस्ताव कोश के ज़रिये एक मर्डर केस की कहानी को रचने की प्रेरणा दी। इंग्लिश रीमेक फिल्म की स्क्रिप्ट निकोलस पिजोलाटो ने लिखी है सेनडे बाकमाल ने मशहूर वेब सीरीज ‘ट्रू डिटेक्टिव’ भी लिखी है।

फिल्म सिर्फ 90 मिनट की है। एक ही कमरे में (पुलिस का कॉल सेंटर) है। कुल सागर 3 लोग स्क्रीन पर दिखाई देते हैं। बाकी सबफोन पर सुनाई दे रहे हैं। फिल्म के 99% हिस्से में कैमरा जैक गैलेनहाल का पीछा करता है। निर्देशक फुका की उम्मीद कर देंगे कि वह फिल्म में चमक लाकर सफलता हासिल करेंगे। दर्शक और जैक एक जैसे होते हैं, सभी फोन कॉल के ज़ेरिये ही पता चलते हैं इसलिए कभी भी जैक कोई सुपर हीरो नहीं बनता है। वो फ्रस्ट्रेट भी होता है, गुस्सा भी होता है, चिंता भी होती है और परेशान भी होता है। जैक गैलेनहाल के जीवन की सबसे बेहतरीन फ़िल्मों में से एक है “द गिल्टी”। उनका चेहरा एक तरह से उदास हो जाता है। पूरी फिल्म उनके दिमाग में चल रहे द्वंद्वों के चेहरे पर आने में कामयाब हो गई। 19 साल के एक लड़के की हत्या का बोझ उठाने में उनका दिमाग थक गया है और वो पूरी तरह से अकेले पड़े हुए हैं। कैमरा माज़ मखानी के हाथों में है और उन्होंने क्लोज अप की मदद से एक महीने को फेयरस्ट बनाए रखा है। एक ही कमरे में गोली लगने के बावजूद फिल्म बोजिल नहीं लगती। माज़ के कैमरे के साथ इस फिल्म की ऑडियंस को बांधे रखने की क्षमता का श्रेय देना चाहिए फिल्म के निर्णायक जैसन बैलेन्टाइन को। एक भी दृश्य अनुपयोगी नहीं है।

जो बात खटक रही थी वो थी कि एमिली से अपना खुलासा करने के लिए, उसे फोन पर बातों में उलझा कर आत्म हत्या रोकने के लिए जो बेलर ने उसे अपना किस्सा सुनाते हैं कि किस तरह उसने एक 19 साल के लड़के की हत्या कर दी क्योंकि वो पुलिसवाले थे और उन्हें लगा कि वो किसी का भी एनकाउंटर कर सकते हैं। तनाव से भरी इस फिल्म में कोई आत्मग्लानि से पीड़ित शख्स, अपने दिल की बात इतनी आसानी से एक अपहृत लड़की को कैसे बता सकता है? फिल्म लाजवाब बनी है। एकदम सही कड़वा चाय की तरह जो नींद उड़ाएगा। इसे जरूर देखें। इसके बाद इसकी अनैतिक ओरिजिनल फिल्म देखने का भी मन हो जाए, ये संभव है।

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कहानी :
स्क्रिनप्ल :
डायरेक्शन :
संगीत :

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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