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बाड़मेर के किसानों को फसल बीमा के नाम पर मिलते हैं 5 और 10 रुपये बाड़मेर में किसानों के साथ बड़ा धोखा, असफलता बीमा के नाम पर लाभ में आए 5,10 रुपये

राजस्थान के बाड़मेर में किसानों के साथ बड़ा धोखा हुआ है। किसानों ने अपनी फसल का बीमा अनुमान लगाया था लेकिन जब किसानों ने बीमा कंपनी से क्लेम किया तो किसानों के मुनाफे में 5, 10, 20 रुपये वोट दिए गए। राजस्थान सरकार ने वर्ष 2022 में बाडमैन को कुछ विशिष्ट विक्षिप्त घोषित किया है। किसानों की शिकायत के बाद अब उदास ने निराश का दोबारा सर्वे करें कर बीमा कंपनी को रिपोर्ट करें।

बीमा कंपनी ने किसानों का दावा खारिज कर दिया

बता दें कि बाड़मेर के किसानों ने कटौती को सुरक्षित रखने के लिए प्रधानमंत्री कटौती बीमा योजना के तहत बीमा भी मुनाफा था। किसानों के खातों से 800 से 1 हजार रुपये तक का प्रीमियम भी काटा गया। 2022 में बाड़मेर में भयंकर सूखा पड़ा। सिर्फ एक बार बारिश हुई, जिससे किसानों की ज्यादातर फसल बर्बाद हो गई। राजस्थान की गहलोत सरकार ने भी बाडमेर को 100 परसेंट टाइपोटाइपिक घोषित कर दिया। इसके बाद किसान ने फसल बीमा योजना के तहत अपनी बर्बादी के एवज में क्लेम लिया। बीमा कंपनी में पेपर जमाखोरी, लेकिन बीमा कंपनी ने किसानों का दावा खारिज कर दिया।

दूर से मिलने के लिए डी.एम. की कार्रवाई
मामला ने तुला पकड़ा तो बाड़मेर डीजे लोकबंधु ने किसानों की बर्बादी का फिर से सर्वे आकलन। बीमा कंपनी के अधिकारियों को तलब किया गया और पटवारी की रिपोर्ट के आधार पर नया क्लेम तैयार करके किसानों को सही हासिल करने के लिए बीमा कंपनी को भेज दिया गया।

किसानों ने अपना दर बर किया
बाड़मेर के एक किसान का कहना है कि फसल का 100 परसेंट क्लेम आना चाहिए। 2018 में हमारा 78 हजार रुपये क्लेम आया था। लेकिन अभी केवल 2200 रुपये आया है। जबकि क्लेम में हमारा लाख करोड़ आना था। इतनी गिरावट खराब हुई थी। हमारे पास 55 बीघा जमीन है। बीमा के नाम पर लाभ से 1021 रुपए कटते थे। अब सरकार की तरफ से सिर्फ 2200 रुपये आया है। बरसात आई ही नहीं, केवल एक बार बारिश हुई। दूसरी बार बारिश नहीं हुई। कुछ भी नहीं मिला, सब बर्बाद हो गया।

नीमलकोट गांव के किसानों दला राम ने बताया कि बारिश नहीं हुई, फसल पूरी खट्टी हो गई। 30-40 हजार ख़र्चा किया, 50 बीघा ज़मीन है। इसमें दावा आया 300 रुपये, 200 रुपये। 5 पहला 10 पहला भी कुछ लोगों का दावा आया है। सरकार ने बांधे रखने की बात की है। जनता का वोट लेना होता है, क़र्ज़ा लेना होता है तो कहते हैं तो सभी तरह के वोट लेते हैं। लेकिन बाद में कुछ नहीं देते। आज तो सुध भी नहीं आ रहे हैं।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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