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पारिवारिक व्यक्ति अभिनेता मनोज बाजपेयी ने जीवन पर किया खुलासा, राम गोपाल वर्मा सत्या ने उन्हें भीखू महत्रे जैसी भूमिका की पेशकश की

मुंबई। बॉलीवुड में स्नैपशॉट (मनोज बाजपेयी) का एक अलग मुकाम है। अभिनेता ने अपनी एक्टिंग के दम पर फिल्मी दुनिया में खास पहचान बनाई है। यूं तो अभिनेता ने कई किरदारों में जान डाली है लेकिन उनकी फिल्म ‘सत्या’ (सत्या) आज भी लोगों के जेहन में है। राम गोपाल वर्मा (राम गोपाल वर्मा) की फिल्म में मनोज ने गैंग्स्टर भीखू म्हात्रे (भीकू महत्रे) की पटकथा में किरदार था और इसने उनके करियर को अलग मुकाम पर पहुंचा दिया था। लेकिन इस कहानी को निभाने के लिए आफत बन गया था, जानिए क्यों…

रामगोपाल वर्मा साल 1998 में क्राइम ड्रामा ‘सत्या’ लेकर आए थे। अनुराग कश्यप और सौरभ शुक्ला ने इस फिल्म में जेडी चक्रवर्ती, उर्मिला मातोंडकर, मनोज ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में मनोज ने गैंग्स्टर का भी किरदार निभाया था। यह फिल्म हिट हो रही थी और शूट के करियर के लिए बेहद खास बन गई थी क्योंकि उनके किरदार ऑडियंस को काफी पसंद आए थे।

आफत से फिल्म को सफलता मिली
शॉट इन दिनों सीरीज ‘गुलमोहर’ का प्रमोशन कर रहे हैं, जिसमें उनके साथ शर्मिला टैगोर भी हैं। ‘फैमिली मैन’ के अभिनेता ने हाल ही में हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में बताया कि ‘सत्या’ के बाद उनकी आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी। मनोज ने कहा था, ‘सत्या’ फिल्म के हिट होने के बाद लोगों के जेहन में भी किरदार फिट हो गया था। फिल्म सफल तो हुई लेकिन मुझे सिर्फ विलेन के किरदार ही दे रहे हैं। लेकिन मैं अलग-अलग बनाना चाहता था और एक छवि में बंधकर नहीं रहना चाहता था। मैंने प्रस्ताव ठुकरा दिया और इस कारण मैं करीब 8 महीने तक चुप रहा।’

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टैग: मनोज बाजपेयी, शर्मिला टैगोर

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