भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आवेदन करने के लिए दलालों के साथ आवाज उठाई गई है। उन्होंने भारत के अलावा अफ्रीका, एशिया, लैटिन अमेरिका के देशों के रिश्ते बनाए। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आंतरिक देशों की मिलीनी को जगह दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आंतरिक देशों के बारे में कोई भी निर्णय उनका लक्ष्य के बिना नहीं होना चाहिए। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को संदेश देते हुए कहा कि सुधारों की बात लगातार हो रही है, लेकिन इसका कोई लक्ष्य हासिल नहीं हो सकता है। वास्तव में दुनिया बहुत तेजी से बदली है। हम इसे आर्थिक समृद्धि, तकनीकी क्षमता, राजनीतिक भाव और विकास के तौर पर देख सकते हैं।
उन्होंने कोरोना काल का जिक्र करते हुए कहा कि इस दौरान कई देशों को वहां से टीका मिला, जहां से उन्हें उम्मीद नहीं थी। पारंपरिक तौर पर उन्हें जहां से मदद मिल रही है, वहां से कुछ नहीं मिला। उन्होंने कहा कि दुनिया में प्रोडक्शन की शाखाएं पहले नहीं चल रही हैं। इससे ही पता चलता है कि वर्ल्ड नंबर किस तरह से बदला है। इस दौरान उन्होंने यूक्रेन युद्ध का जिक्र नहीं किया, लेकिन साफ कहा कि युद्धों के दौरान ग्लोबल गवर्नेंस की अहमियत बढ़ जाती है। जयशंकर ने कहा कि भोजन, उर्वरक और संपूर्ण शर्तों के मामले में सभी की सुरक्षा पर बात करने की जरूरत है।
विदेश मंत्री ने कहा कि कई बार छोटे देशों के फोकस पर ध्यान नहीं दिया जाता है। ऐसा दोबारा नहीं होना चाहिए। इसी दौरान जयशंकर ने आतंक से भरपूर और अपने बचाव करने वाले देशों पर भी हमला किया। उन्होंने पाकिस्तान और चीन का नाम नहीं लिया, लेकिन इशारा साफ कर दिया था। विदेश मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के मसले पर दुनिया एक साथ आ रही है और एकता का जवाब दे रही है। हालांकि बहु-आयामी मंचों का कई बार बेजा उपयोग भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि इन प्लेटफॉर्म्स के जरिए कई बार आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों को बरकरार रखा गया है।
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र के मंच पर छोटे देशों की भी आवाज सुनी जाने की शिकायत की। उन्होंने कहा, ‘हमें न केवल सभी की नजर बढ़ाने की जरूरत है, बल्कि वैश्विक मामलों का प्रभाव भी बढ़ रहा है, ताकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी रहें। यदि ऐसा होगा तो फिर लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और एशिया के देशों का प्रतिनिधित्व होगा और वे निर्णयों में भाग लेंगे।’ उन्होंने कहा कि आंतरिक देशों के भविष्य के बारे में कोई भी फैसला उनकी निगाहों के बिना नहीं हो सकता।