हथकड़ी कानून: झारखंड के जमशेदपुर में एक अधिवक्ता को हथकड़ी लगाने के मामले में इतना तुल पकड़ा कि कांस्य टेबल को सस्पेंड करना पड़ा। दरअसल, जमशेदपुर में अधिवक्ता चंदन चौबे सोमवार को भाजपा नेता अभय सिंह की गिरफ्तारी के बाद सात लोगों के साथ एसएसपी को अधिकार सौंपे गए थे। वहां सभी पुलिस ने हिरासत में लेकर थाने में बैठा दिया। इसके बाद मंगलवार को पुलिस ने वकील चंदन चौबे सहित आठ लोगों को जेल भेज दिया। कोर्ट में पेशी के दौरान पुलिस ने वकीलों को हथकड़ी पहनाई थी। इसके विरोध में अन्य वकीलों ने विरोध प्रदर्शन किया और उपायुक्त से मामले की लिखित शिकायत की। बाद में हथकड़ी लगाने वाले कांस्टेबल को सस्पेंड कर दिया।
जमशेदपुर के इस मामले से सवाल उठ रहा है कि किसी भी पंच को हथकड़ी लगाने के नियम क्या हैं? किस तरह के मामले में अटकल को हथकड़ी में फंसाया जा सकता है? हथकड़ी लगाने का कानून क्या है? पुलिस को हथकड़ी लगाने का अधिकार कब मिलता है? किसी स्थिति में पुलिस का हथकड़ी हो सकता है। अमूमन हम देखते हैं कि पुलिस जब किसी सदी को न्याय देती है तो उसके हाथ में हथकड़ी लग जाती है। कई बार साइट के एक हाथ में रस्सी भी बांधी जाती है, जिसका एक सिरा किसी कांस्टेबल के हाथ में रहता है।
पुलिस कैसे कर सकती है आतंक की गिरफ्तारी?
किसी भी घटना के हाथों में हथकड़ी लगाने को सर्वोच्च न्यायालय अपने कुछ दस्तावेजों में असंवैधानिक करार दे चुका है। दरअसल, दंड प्रकिया संहिता 1973 यानी क्रिमिनल प्रोसीजर कोड 1973 की धारा-46 में बताया गया है कि किसी व्यक्ति को पुलिस कैसे गिरफ्तार करती है। इसमें यह भी कहा गया है कि पुलिस अधिकारी गिरफ्तारी के दौरान एक दशक तक कोई छेड़खानी नहीं करेगा, जब तक कि वह व्यक्ति बोलकर या शारीरिक प्रतिक्रिया के माध्यम से खुद को कस्टडी में ना निर्देशित करे। अगर कोई व्यवहार बल प्रयोग कर गिरफ्तारी का प्रतिरोध कर रहा हो तो पुलिस को उसे गिरफ्तार करने के लिए हर तरह के जरूरी संसाधन का इस्तेमाल करने की छूट रहती है।
शतक के हाथों में हथकड़ी लगाने को सर्वोच्च न्यायालय अपने कुछ दस्तावेजों में असंवैधानिक करार दे चुका है।
महिलाओं को गिरफ्तार करने के क्या नियम हैं?
धारा-46 में महिलाओं की पहचान को गिरफ्तार करने के तरीके के बारे में भी बताया गया है। इसके अनुसार, जब कोई महिला हिरासत में होने की जानकारी मौखिक रूप से दिए जाने के बाद समर्पण ना कर दे, तब तक उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। वहीं, उसकी गिरफ्तारी के लिए एक महिला पुलिस अधिकारी का होना भी जरूरी है। इसे दूसरे तरीके से समझें तो महिला सेंचुरी पुरुष अधिकारी के विशिष्ट समर्पण से तब तक इनकार कर सकता है, जब तक पुलिस टीम में कम से कम एक महिला शामिल ना हो। पुरुष अधिकारी महिला के शरीर को छू भी नहीं सकते हैं।
रात में महिला को कैसे किया जाता है गिरफ्तार?
महिला दशक को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है। अगर गिरफ्तारी बहुत जरूरी है तो प्रथम श्रेणी न्यायायिक मजिस्ट्रेट से पहले अनुमति लेनी होगी। इसमें यह भी जरूरी है कि प्रथम श्रेणी न्यायायिक मजिस्ट्रेट उस क्षेत्र का ही हो, जहां अपराध किया गया है या गिरफ्तारी की जानी है। इस गिरफ्तारी के दौरान पहुंचने वाली टीम में कम से कम एक महिला पुलिस अधिकारी का होना अनिवार्य है। ये सभी नियम मृतयुदंड या रिहा कारावास से दंडनीय अपराध मामलों में लागू नहीं होते हैं।
महिला दशक को सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
क्यों नहीं फट सकता हथकड़ी?
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट तौर पर हथकड़ी लगाने को असंवैधानिक करार दिया था। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट सुनील बत्रा बनाम दिल्ली प्रशासन (1978) 4 एसएससी 409 के मामलों में कहा गया था कि पुलिस किसी व्यक्ति को हथकड़ी नहीं लगा सकती है। अगर वह ऐसा करती है तो यह पूरी तरह से अवैधानिक होगा। यह भारतीय संविधान के लेख 21 और लेख 22 का उल्लंघन होगा। लेखा-जोखा 22 किसी व्यक्ति की व्यक्तिगत तरीके से गिरफ्तारी के निरोध के संबंध में है। इसके मुताबिक, किसी भी व्यक्ति की मनमानी तरीके से गिरफ्तारी नहीं होगी। वहीं, लेखा 21 प्राण और दैहिक स्वतंत्रता के संबंध में है। इसके अनुसार, किसी व्यक्ति के प्राण और दैहिक स्वतंत्रता पर कोई रोक नहीं लगाई जा सकती है।
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किस, कब, क्यों को भड़काना हथकड़ी हो सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने अंजनी कुमार सिन्हा बनाम स्टेट ऑफ बिहार 1992 के मामलों में भी कहा था कि पुलिस किसी व्यक्ति को असीमित शक्ति का उपयोग करते हुए हथकड़ी नहीं लगा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में ये भी बताया कि पुलिस किसी, कब और क्यों हथकड़ी लगा सकती है। सर्वोच न्यायलय ने कहा कि अगर किसी तरह का आचरण या चरित्र इस प्रकार है, जिसमें उसे हथकड़ी लगाने का स्पष्ट कारण है, तो पुलिस को छूट है। कोर्ट ने कहा कि अगर ये डर है कि अभिरक्षा से भाग ले सकता है या लोक शांति को भंग कर सकता है या हिंसा कर सकता है तो पुलिस बंधन को हथकड़ी लगा सकती है। अगर बिना किसी कारण के किसी व्यक्ति को हथकड़ी लग जाती है, तो यह उसके मूल अधिकार का हनन होगा। बाल अपराधी को हथकड़ी नहीं कर सकते।
गिरफ्तार करने वाले अधिकारियों को हथकड़ी लगाने के कारणों को भी दर्ज करना होता है।
गिरफ्तारी के समय पुलिस को निर्देश
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने जून 2022 को एक फैसला सुनाते हुए हथकड़ी लगाने के बाद सार्वजनिक परेड करने के मामले का संज्ञान लेते हुए करोड़ों रुपये को 2 लाख रुपये देने का आदेश दिया था। साथ ही कहा कि किसी भी तरह की गिरफ्तारी के तरीके रिकॉर्ड किए जाएं। इसके लिए गिरफ्तार करने पहुंचे सभी पुलिस अधिकारियों को विशिष्ट बॉडी कैमरा प्राप्त करने के लिए। इससे रिकॉर्ड ऑडियो-वीडियो को एक साल तक सुरक्षित रखें। फैसला सुनाते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच के जस्टिस गोविंदराज ने कहा कि गिरफ्तार करने वाले अधिकारियों को हथकड़ी लगाने के कारणों को भी दर्ज करना होता है।
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अधिकारिता से अधिकारा जा सकता है
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि मुकदमा अदालत में पेश किए जाने वाले विचाराधीन कैदी को हथकड़ी लगाम लगाने के लिए पुलिस मुकदमा अदालत की अनुमति लेने से पहले ली जाएगी। यदि बिना अनुमति के बिना विचाराधीन कैदी को हथकड़ी लगाई जाती है, तो संबंधित पुलिस अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई भी की जा सकती है। एक मामले में आने वाले मुआवजे की रकम हथकड़ी लगाने वाले अधिकारियों से वसूलने की भी छूट दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में कहा है कि अगर किसी पंच को हथकड़ी लगाई जाती है तो पुलिस को उचित कारण वाले फैसले से संबंधित अदालत से पूर्व-अनुमति क्षतिपूर्ति लेनी होगी।
किन किन के साथ झूलने से हथकड़ी लगेगी
– केवल गैर-जमानती (गंभीर) अपराध के मामलों में ही हथकड़ी फहराया जा सकता है।
– अभियुक्त का हिंसा को लेकर पहले कोई रिकॉर्ड या चरित्र रहा है तो हथकड़ी की छूट।
– अगर अभियोगी लोकशांति भंग कर सकता है या तोड़ सकता है फोड़ सकता है या गिरफ्तारी में रुकावट डाल सकता है।
– अगर बंधी पुलिस से फर्जी रहने के बाद सुसाइड कर सकते हैं या हिस्सा ले सकते हैं तो हथकड़ी लग सकते हैं।
– मान्य होने के कारण विजेट प्राधिकरण के आदेश पर भी हथकड़ी जम सकती है।
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पहले प्रकाशित : 13 अप्रैल, 2023, 16:31 IST