छत्तीसगढ़जशपुर

सस्ते टमाटर से महंगा नुकसान! किसानों की कमर टूटी, सड़क पर फेंकी फसल

UNITED NEWS OF ASIA. जशपुर। छत्तीसगढ़ में टमाटर किसानों की परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं। खेतों में टमाटर की फसल तैयार है, लेकिन बाजार में खरीदार नहीं मिल रहे। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि किसान टमाटर सड़कों पर फेंककर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।

1 रुपये किलो बिक रहा टमाटर, लागत निकालना भी मुश्किल

जशपुर के लुड़ेग क्षेत्र में टमाटर मात्र 1 रुपये प्रति किलो में बिक रहा है, जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। आमतौर पर टमाटर की कीमत 20-30 रुपये किलो तक होती है, लेकिन इस बार दूसरे राज्यों में अच्छी पैदावार के कारण छत्तीसगढ़ में मांग बेहद कम हो गई है। कई किसानों की लागत भी नहीं निकल पा रही है, जिससे वे कर्ज तले दबते जा रहे हैं।

लाखों रुपये का नुकसान, विरोध में टमाटर सड़कों पर फेंके

इस बार टमाटर की कीमत इतनी गिर गई कि किसान लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं। कई किसान मजबूरी में टमाटर तोड़कर फेंक रहे हैं। बीते छह सालों में पहली बार ऐसी स्थिति बनी है, जिससे किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है।

1 लाख एकड़ में खेती, लेकिन बिकवाली ठप

जिले में 1 लाख एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में टमाटर की खेती होती है, जिसमें करीब 11 हजार किसान जुड़े हुए हैं। टमाटर उत्पादन में प्रति बीघा 20 से 25 हजार रुपये की लागत आती है, जबकि सामान्य परिस्थितियों में एक बीघा में 1.5 से 2 लाख रुपये तक की कमाई हो सकती है। लेकिन इस बार गिरती कीमतों की वजह से किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं।

कैसे होती है हाइब्रिड टमाटर की खेती?

हाइब्रिड टमाटर की खेती में अधिक लागत और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर किसान मल्चिंग विधि से खेती करते हैं, जिससे मिट्टी में नमी बनी रहती है और फसल की पैदावार अधिक होती है।

  • नर्सरी में बीज तैयार किया जाता है, जिसे 15-20 दिन तक बढ़ने दिया जाता है।
  • खेतों की गहरी जुताई कर जैविक खाद डाली जाती है।
  • प्लास्टिक मल्चिंग विधि अपनाई जाती है, जिससे मिट्टी की नमी बनी रहती है।
  • सिंचाई और पौधों की उचित देखभाल के बाद 60-65 दिन में फसल तैयार हो जाती है।

मांग कम, दाम घटे, लेकिन समाधान नहीं!

इस साल टमाटर की अच्छी पैदावार के बावजूद बाजार में मांग नहीं है, जिससे किसानों को बड़ा झटका लगा है। सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करने और सब्सिडी देने की मांग उठने लगी है, ताकि किसानों को उचित मुनाफा मिल सके। यदि जल्द कोई समाधान नहीं निकला तो यह संकट और गहरा सकता है।

 


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