
ईव मृदुल ने एक्सक्लूसिव बातचीत में अपनी कमबैक और पिछले दिनों के अवसाद को लेकर कुछ चीजें कहीं। उन्होंने कहा, ‘अब तो थोड़ी सी आदत सी हो गई और मैंने खुद को संभाला, लेकिन फिल्म पेज 3 के बाद प्रत्यक्ष अवसाद में छोड़ दिया गया था। समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या देखता हूं। और वो ऐसा दौर था जब लोग कहने लगे कि अरे ये लड़की तो अब ऊपर जाएगी और ये लड़की ऊपर जाने की जगह नीचे आई। क्योंकि पेज 3 के बाद इतना स्टीयरियो टाइप हो गया कि उसी टाइप का रोल और मैं मना कर दिया इस उम्मीद में कि अब कुछ अलग होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और फिर मैं काम नहीं कर पाया।
मैंने तय कर लिया है कि मैं तुम्हें नहीं बेचूंगा: ईव मृदुल
ईव ने आगे कहा, ‘मुझे बहुत बड़ी तकलीफ हुई, मैं एकदम से खो गया। मुझे समझ नहीं आया कि मैं क्या देखता हूं। मैंने सोचा कि मैं वहीं लड़की हूं जिसने साथ दिया है, मैं वही हूं जिसने पेज 3 किया है…ये सब अलग लड़कियां थीं। आप मुझे क्यों टाइप कर रहे हैं। मुझे पेज 3 की पर्ल ही क्यों देख रहे हो हमेशा, क्यों भूल गए कि मैं वो लड़कियां भी रह गई हूं। काम न करके अंदर से बहुत परेशानी हो रही है। साल दो साल, तीन साल भी निकल गए कभी तो। बहुत मुश्किल था, लेकिन मैं आदी रही। मैं डीटी कर रहा हूं। मैंने कहा कि मैंने तय कर लिया है कि मैं आपको नहीं बेचूंगा। हर बार ऐसा कुछ करने वाला जो कुछ करने के लिए होता है। टीवी भी मुझे बुला रहा है लेकिन कुछ नहीं ऐसा करने को।’
कहा- बहुत बड़ी नौकरी छोड़ने के अभिनेता बनी हूं
उन्होंने कहा, ‘बहुत बड़ी नौकरी छोड़ के अभिनेता बनी हूं। क्योंकि मुझे नौकरी ही नहीं करनी थी। मुझे एक्टिंग से चीटिंग नहीं आती, इसलिए गैप आ जाता है। अब ओटीटी आ गया है तो अब ये गैप कम हो जाएगा क्योंकि इस बार यहां आप दो बार बड़े इंटरेस्टिंग रोल में मुझे देख लेंगे। तीसरा भी अगर तैयार हो गया तो इस साल के अंत तक देखें।’
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ईव ने कहा- बहुत सारी जूलरी थी जो मैं पहनती नहीं थी वो मैंने बेच दी
ईव ने बताया कि जब काम नहीं होने की वजह से उनके पैसे खत्म हो गए तो उन्होंने कैसे कमाई की। उन्होंने कहा, ‘पैसे खत्म होने पर मैंने अपनी जूलरी बेच दी। बहुत सारी जूलरी थी जो मैं पहनती नहीं थी वो मैंने बेची और दी जाती रही। लेकिन काम नहीं किया जब तक मेरी पसंद का नहीं आया। मुश्किल था वो वक्त, मैंने अपना खर्चा कम कर दिया, बाहर जाना कम कर दिया। सब कुछ मुमकिन है।’
कैंटीन से लदान रुपये की प्लेट चौराहा था, मालाबार हिल तक पैदल जा रही थी
ईव मृदुल ने अपने बीते दौर की कहानी सुनाते हुए कहा, ‘मैंने अपना करियर पब्लिक हाउस में नौकरी करके शुरू किया था। मुझे साढ़े हज़ार रुपये मिलते थे और 2100 रुपये मैं पेइंग गेस्ट में रहने के लिए रेंट देता था। 400 रुपये में मैं अपना महीना गुजारता हूं, खाना-पीना सब कुछ। मैं हमेशा अपनी बात कहता था कि यदि क्रिया हुई है तो यह भी कर सकता है। टेलीविजन में काफी पैसा कमाया था, जो चल रहा था और फिर वो खत्म होने लगा। फिर डर लगने लगा, घबराहट होने लगी। लेकिन मैं आपकी वो दिन याद आने लगी जब मैं वीटी से मालाबार हिल तक जा रहा था क्योंकि मुझे टैक्सी में पैसे खर्च नहीं करने थे। जब मैं कैंटीन से लदान रुपये की प्लेट चौपट हो गया था और बाहर आने वाले समय में जो भैया होते थे वो चना, प्याज, धनिया और हरी मिर्च के बारे में बड़ी सा जानकारी देते थे, वो चौपट मैं चलती जा रही थी वीटी से ग्रंथबार हिल। मैंने कहा कि तुम वही इंसान हो जिसे वो देख रहा है तो तुम ये कर सकते हो।’



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