
पुराना किला, दिल्ली
नई दिल्ली: संसद भवन से 5 किलोमीटर की दूरी, इंडिया गेट से 2 किलोमीटर की दूरी और राष्ट्रपति भवन से 5 किलोमीटर की दूरी पर एक जांच चल रही है। प्रगति मैदान से 400 मीटर दूर दिल्ली के दिल के बीचोबीच जमीन के नीचे खोदा जा रहा है। ये सरकार खुदाई के खर्चे पर जा रही है और एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम इस काम में जुटी है। कहा जा रहा है कि महाभारत काल के प्रमाण बताए जा रहे हैं। 3000 साल पुराने निशानियों को तलाशी का काम हो रहा है जिस जगह पर खुदाई हो रही है। बताया जा रहा है कि दिल्ली में जहां खुदाई हो रही है वहां विदेश की टीम भी आएगी।
इस खुदाई के पीछे सरकार की मंशा क्या है?
दिल्ली का पुराना किला 300 एकड़ में फैला हुआ है लेकिन किले के अंदर जमीन के अंदर 3000 साल पुरानी सभ्यता मौजूद है। किले के बाहर जो शिला लगी है उस पर भी महाभारत काल का उल्लेख किया गया है। साथ में ये भी जिक्र है कि ये किला जिस टीले पर स्थित है वो महाभारत काल में अक्षयप्रस्थ रहा होगा। एएसआई अब उसी का पता लगाना चाहता है कि फंसे हुए उत्खनन का काम जारी है। 1954 से लेकर अब तक 4 बार खुदाई हो चुकी है। 5वीं बार दिल्ली के पुराने किले की खुदाई एएसआई कर रहा है। 4 बार की खुदाई के दौरान एएसआई को मुगल काल, सल्तनत काल, राजपूत काल, गुप्त काल, कुषाण काल और मौर्य काल के प्रमाण मिले थे।
महाभारत काल के दर्शन की खोज जारी
एएसआई को उम्मीद है कि मौर्य काल से पहले की जो सभ्यता है उसका प्रमाण किले के अंदर मौजूद हैं वो महाभारत काल के हो सकते हैं। जैसा दावा किया जाता है कि ये जिस टीले पर ये किला बना है वो महाभारत काल का अक्षयप्रस्थ है। साल 2013 और 2017 की एएसआई की खुदाई में मौर्य काल का इतिहास मिल चुका है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार ये 2500 साल पहले के इतिहास के तथ्य हैं। उससे पहले भी एएसआई ने जो खुदाई की थी उसमें भी लगातार सबूत मिले हैं जिनको पुराने किले के अंदर सजों में रखा गया है। उनके चित्र भी पुराने ज़माने के किले के भीतर देखे जा सकते हैं।
एएसआई (भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण) की टीम इस लुक में जुटी है।
एक्सपोजर में जुटी है 100 लोगों की टीम
बता दें कि दिल्ली को मुगलों ने भी राजधानी बनाई थी। धार्मिक विरासत के अनुसार महाभारत काल में पांडवों ने भी दिल्ली यानी तब के इंद्रप्रस्थ को राजधानी बनाया था उसी इंद्रप्रस्थ के दर्शन की कोशिश करने की कोशिश हो रही है क्योंकि इससे पहले कभी भी दिल्ली में अक्षयप्रस्थ की खोज नहीं हुई थी। अब पुराने किले के अंदर 2500 साल से पहली गुफा के दर्शन कर रहे हैं। अभी ये काम करीब 100 मीटर के दायरे में किया जा रहा है। इस स्थान पर करीब 100 लोगों की टीम इस खतरे में जुटी है।
महाभारत काल में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी
अक्षयप्रस्थ का पहली बार जिक्र कब हुआ तो यह कारण बनता है तो महाभारत काल को मिलेगा। मान्यता है कि महाभारत युद्ध से पहले भगवान श्रीकृष्ण हस्तिनापुर शांतिदूत बनते हैं। महाराजा धृतराष्ट्र से पांडवों का हक मांगते हैं लेकिन दुर्योधन नहीं फिर भगवान श्रीकृष्ण ने 5 गांव मांगे-
- इंद्रप्रस्थ जिसे श्रीपत कहते हैं, दिल्ली में मौजूद है।
- स्वर्णप्रस्थ जिसे आज का सोनीपत माना जाता है।
- पांडुप्रस्थ जो आज का जलपत है।
- व्याघ्रप्रस्थ जो आज का बागपत है।
- तिलप्रस्थ जो आज का तिलपत है।
बागपत में मिले थे रथ, तलवारें और मुकुट
पांडवों का एक गांव व्याघ्रप्रस्थ यानी आज के बागपत जिले के सोनौली में साल 2018 में एएसआई को खुदाई के दौरान महाभारत की विशेष स्थितियाँ मिली थीं जिनमें रथ, तलवार और मुकुट जैसी स्थितियाँ मिली थीं। ऐसा माना जा रहा है कि अक्षयप्रस्थ यानी दिल्ली में भी खुदाई के दौरान महाभारत काल के सबूत मिल सकते हैं।



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