आईएफटी के संस्थापक एन सी देबबर्मा के निधन के बाद माना जा रहा है कि पार्टी का प्रभाव कम हो गया है। ऐसे में बहुमत हासिल करने का भार काफी हद तक भाजपा के कब्जे में है, जबकि उसकी दो मुख्य प्रतिद्वंद्वी हो गई हैं।
त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में हाल ही में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग कराई गई थी। इन तीनों राज्यों के चुनावी नतीजे आज आ रहे हैं जिनकी गिनती शुरू हो गई है। तीनों राज्यों में विधानसभा के 60-60 सीट हैं। वोटों की संख्या सुरक्षा के बीच बनाई जा रही है। सुरक्षा के पक्का बंदोबस्त भी किए गए हैं। भले ही भूत के तीन छोटे राज्यों में चुनाव हो रहे हों, लेकिन कहीं न कहीं भाजपा के साथ-साथ कई क्षेत्रीय पार्टियों की प्रतिष्ठा हिस्सेदारी है। चुनावी नतीजे जब सामने आ जाएंगे तो ये पता चलेगा कि बीजेपी ने 2018 में वाम पार्टियों से अपने गढ़ को खींचा, वहां से अपनी जड़ें मजबूत की हैं या नहीं। चुनावी अटकल से यह भी स्पष्ट होगा कि भूत के अधिकांश राज्यों की सत्ता पर काबिज भाजपा मेघालय और नागालैंड में अपनी पैठ और मजबूती करने में सफल हुई है या नहीं या फिर निर्णय में सेंध की स्थिति में बनी हुई है।
तीन राज्यों में त्रिपुरा ऐसा राज्य है जिस पर राष्ट्रीय स्तर पर सभी दावेदार हैं क्योंकि वैचारिक रूप से यहां जीत दर्ज करना भाजपा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि पारंपरिक प्रतिद्वन्दी कांग्रेस और वाम दलों ने राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा के चुनाव में भाजपा को चुनौती देने के लिए पहली बार हाथ उठाया है। राष्ट्रीय दलों के बीच इस लड़ाई में प्रद्योत देबबर्मा का नेतृत्व वाला तीपरा मोथा भी है जो एक प्रदेश की राजनीति में एक प्रभावशाली ताकत के रूप में उभरा है। जनजातीय आबादी के एक बड़े हिस्से के बीच इसके प्रभाव को परंपरागत रूप से सुलझाया गया है। इसके संस्थापक देबबर्मा पूर्ववर्ती शाही परिवार के वंशज हैं और राज्य के जनजातीय आबादी में उनका विशेष प्रभाव माना जाता है। पिछले चुनाव में बीजेपी और उनके सहयोगी इंडिजिनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ़ त्रिपुरा (आईपी एफ़टी) ने जनजातीय क्षेत्रों में अच्छा प्रदर्शन किया था। पिछली बार के चुनाव में बीजेपी ने 36 और आईपी एफटी के आठ सीट्स को देखा था।
आईएफटी के संस्थापक एन सी देबबर्मा के निधन के बाद माना जा रहा है कि पार्टी का प्रभाव कम हो गया है। ऐसे में बहुमत हासिल करने का भार काफी हद तक भाजपा के कब्जे में है, जबकि उसकी दो मुख्य प्रतिद्वंद्वी हो गई हैं। दो दशक तक वाम दलों का गढ़ रहे त्रिपुरा में बीजेपी ने 2018 में शानदार जीत दर्ज की थी और इस किले को उसने छुपा लिया था। इससे पहले 2013 के चुनाव में बीजेपी एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। अलबत्ता, 2018 में भाजपा ने आश्चर्यजनक रूप से अपने प्रतिद्वंद्वियों को अपनी वैचारिक पार्टी के रूप में जीत के लिए पेश किया था। ऐसे में बीजेपी यहां हारती है तो उसे एक संकेत के रूप में दिखाई देगी। भले ही राष्ट्रीय फलक पर फोटोग्राफी का अपेक्षाकृत मामूली प्रभाव हो। मेघालय और नगालैंड, दोनों में क्षेत्रीय बड़े दल के खिलाड़ी बने हुए हैं, वहीं भाजपा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह सहित सभी बड़े नेताओं के साथ राज्यों में अपनी पैठ बढ़ाने के लिए एक धारादार अभियान चलाया। पहली बार बीजेपी मेघालय के सभी 60 अलग-अलग चुनाव लड़ रहे हैं और लगातार नेशनल पीपुल्स पार्टी के नेता और सदस्य कोनराड संगमा पर देश की ”सबसे भ्रष्ट” राज्य सरकार चलाने के लिए फोकस साध रही है।
मेघालय में बीजेपी मेघालय के नेतृत्व वाली सरकार में गठबंधन था लेकिन चुनाव से पहले उसने गठबंधन तोड़ लिया था। पार्टी को उम्मीद है कि विधानसभा में उसकी चढ़ाई और लुक्स की संख्या में चार फ्लेवर से अधिक की वृद्धि हो सकती है। पिछले चुनाव के बाद वहां विधानसभा त्रिशंकु बनी थी और इस बार भी ऐसी संभावना जताई जा रही है। भूतिया क्षेत्र के लिए भाजपा की रणनीति व असम की तस्वीर हिमंत बिस्व शर्मा ने चुनाव के बाद संगमा से मिलने की थी और संकेत दिया कि दोनों दल फिर से साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इन चुनावों का एक दिलचस्प पहलू बंगाल पश्चिम की झलक ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली कांग्रेसी कांग्रेसी है। बंगाल की सत्ताधारी पार्टी भी इन चुनावों में पूरी ताकत झोंकी हुई है और कांग्रेस की तुलना में भाजपा के खिलाफ खुद को मजबूत प्रतिद्वंद्वी के रूप में पेश करने की कोशिश कर रही है। दसवीं चुनाव से पहले बनर्जी की यह कोशिश कितने रंग की है, यह देखना दिलचस्प होगा। कांग्रेस ने भी इन राज्यों में व्यापक प्रचार अभियान चलाया है। राहुल गांधी ने मेघालय में एक रैली की है। कांग्रेस की कोशिश अपने प्रभाव को वापस पाने की कोशिश कर रही है। नगालैंड में बीजेपी फिर से एंडी पीपी के साथ गठबंधन में चुनाव में शामिल हुई है। मंगलवार को शर्मा ने दावा किया कि त्रिपुरा, नगालैंड या मेघालय में कोई त्रिशंकु विधानसभा नहीं होगी और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए तिकड़ी राज्यों में पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे। मतदान के बाद चुनावी सर्वेक्षणों में अधिकांश मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा होने की संभावना है।
नागालैंड | के लिए वोटों की गिनती #NagalandAssemblyElections2023 सुबह 8 बजे शुरू होगा; कोहिमा में उपायुक्त कार्यालय में मतगणना केंद्र के दृश्य pic.twitter.com/XdT0sWc4e9
– एएनआई (@ANI) 2 मार्च, 2023