जकार्ता: इंडोनेशिया में भूकंप से फिर धरती कांप उठी। जानकारी के अनुसार यह भूकंप आज दोपहर भारतीय समयानुसार 3:25 पर आया। रिक्टर स्कैन में इसकी तीव्रता 7.0 काँटा हो गई है। भूकंप की यह तीव्रता बेहद ही खतरनाक है। भूकंप का केंद्र इंडोनेशिया के तुबन से 96 किमी उत्तर में था। इससे पहले भी गुरुवार 13 अप्रैल को इंडोनेशिया के तनिंबर द्वीप में 4.9 तीव्रता का भूकंप आया था। भूकंप इंडोनेशियाई क्षेत्र में स्थानीय समय के अनुसार सुबह 04:37 बजे आया था। इस भूकंप से किसी तरह के जान-माल के नुकसान की जानकारी नहीं आई थी।
प्लेट्स के टकराने से भूकंप आता है
यह धरती मुख्य रूप से चार परतों से बनी है, जिंघे इनर कोर, आउटर कोर, मेंटल और आशय कहा जाता है। पेस्ट और अपर मेंटल को लिथोस्फेयर कहा जाता है। ये 50 किलोमीटर के मोटे ओवरलैप होते हैं, जिनमें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, चिपकी रहती हैं। ये प्लेटें अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से बनाई जाती हैं। ये दृश्य और दृश्य, दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकते हैं। इस क्रम में कभी कोई दूसरी प्लेट दूसरी प्लेट के करीब होती है तो कोई दूर हो जाता है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकराती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी नीचे हैं।
भूंकप का केंद्र और गहनता
भूकंप का केंद्र वह स्थान है, जो झटके के नीचे ठीक है, भूगर्भीय ऊर्जा झटके देती है। इस स्थान पर भूकंप की कंपनियाँ बहुत अधिक महसूस करती हैं। कंपनियों की चक्रीय ज्यों-ज्यों दूर होती है, इसका प्रभाव कम होता है। इसकी तीव्रता का पैमाना रिक्टर स्कैन होता है। रिक्टर स्केल पर अगर 7 या इससे अधिक तीव्रता का भूकंप आता है तो 40 किमी के दायरे में झटका तेज होता है। लेकिन यह बात पर भी रुक जाती है कि भूकंपीय आवृति ऊपर की ओर या दायरे में होती है। यदि कंपनियां सावधिक ऊपर की ओर होती हैं तो प्रभाव क्षेत्र कम होता है। भूकंप जितनी गहराई में आता है, सतह पर उतनी ही तीव्रता उतनी ही कम महसूस होती है।
function loadFacebookScript(){
!function (f, b, e, v, n, t, s) {
if (f.fbq)
return;
n = f.fbq = function () {
n.callMethod ? n.callMethod.apply(n, arguments) : n.queue.push(arguments);
};
if (!f._fbq)
f._fbq = n;
n.push = n;
n.loaded = !0;
n.version = ‘2.0’;
n.queue = [];
t = b.createElement(e);
t.async = !0;
t.src = v;
s = b.getElementsByTagName(e)[0];
s.parentNode.insertBefore(t, s);
}(window, document, ‘script’, ‘//connect.facebook.net/en_US/fbevents.js’);
fbq(‘init’, ‘1684841475119151’);
fbq(‘track’, “PageView”);
}
window.addEventListener(‘load’, (event) => {
setTimeout(function(){
loadFacebookScript();
}, 7000);
});