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Durg Nigam Election : भाजपा में टिकट दावेदारों की होड़, विधायक गजेंद्र यादव की रणनीति से सीनियर कार्यकर्ताओं में आक्रोश

UNITED NEWS OF ASIA. भारती कौर, दुर्ग। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनने के बाद नगरीय निकाय चुनावों को लेकर पार्टी में टिकट की दावेदारी को लेकर जबरदस्त हलचल मची हुई है। दुर्ग नगर निगम में पार्षद टिकट पाने के लिए सत्ता पक्ष के अंदरूनी संघर्ष ने जोर पकड़ लिया है। कई ऐसे नाम उभर रहे हैं, जो पिछले विधानसभा चुनावों में सक्रिय नहीं थे, लेकिन अब टिकट की दौड़ में सबसे आगे हैं।

विधायक गजेंद्र यादव की रणनीति:
भाजपा के टिकट वितरण में स्थानीय विधायक गजेंद्र यादव की भूमिका प्रमुख नजर आ रही है। उन्होंने अपने समर्थकों को टिकट दिलाने के लिए रणनीतिक रूप से निचले स्तर की चयन समितियों का गठन करवाया। चर्चा है कि इन समितियों ने गजेंद्र यादव समर्थकों के नामों को प्राथमिकता दी है।

चयन प्रक्रिया पर सवाल:
विधायक समर्थकों के नाम पैनल में डालने के कारण वर्षों से संघर्षरत सीनियर कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। पार्टी के जमीनी स्तर के नेताओं का कहना है कि उनके त्याग और मेहनत की अनदेखी कर नए लोगों को तरजीह दी जा रही है।

पैनल में शामिल नाम:
दुर्ग नगर निगम के विभिन्न वार्डों में शामिल संभावित दावेदारों की सूची:

  • वार्ड 03: नरेंद्र बंजारे
  • वार्ड 08: वसीम कुरैशी
  • वार्ड 10: शेखर चंद्राकर
  • वार्ड 11: अभिषेक पनारिया
  • वार्ड 12: अजीत वैद्य
  • वार्ड 16: खिलावन मटियारा
  • वार्ड 19: रंजीता प्रमोद पाटिल
  • वार्ड 22: काशीनाथ कोसरे
  • वार्ड 23: मनोज सोनी
  • वार्ड 24: रामकली चंद्राकर
  • वार्ड 30: श्याम शर्मा
  • वार्ड 38: रामचंद सेन
  • वार्ड 39: गुलाब वर्मा
  • वार्ड 43: अनिकेत यादव
  • वार्ड 46: लीलाधर पाल
  • वार्ड 48: लोकेश्वरी ठाकुर
  • वार्ड 50: बानी संतोष सोनी
  • वार्ड 51: साजन जोसफ
  • वार्ड 52: गुलशन साहू
  • वार्ड 53: विनायक नातू
  • वार्ड 59: नीलम शिवेंद्र परिहार
  • वार्ड 60: श्वेता ताम्रकार

बगावत के आसार:
विधायक गजेंद्र यादव की ओर से अयोग्य समर्थकों को प्राथमिकता दिए जाने से भाजपा के वरिष्ठ नेताओं में असंतोष है। इस असंतोष का असर भाजपा की चुनावी संभावनाओं पर पड़ सकता है। पहले भी पार्टी बगावत के कारण निगम चुनावों में बहुमत हासिल करने में असफल रही है।

भविष्य की चुनौती:
भाजपा के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है। अगर सीनियर नेताओं की बगावत को नहीं संभाला गया, तो इसका असर निगम चुनाव में पार्टी की स्थिति पर साफ दिखाई दे सकता है। पार्टी नेतृत्व के लिए गुटबाजी खत्म करना और संगठन में सामंजस्य बनाना सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए।

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