
सांकेतिक तस्वीर
रूस-यूक्रेन युद्ध: यूक्रेन के पास जमीन से लड़ने के लिए टैंक नहीं हैं। जर्मनी ने वादा करने के बाद भी तेंदुआ 2 टैंक की अभी तक यूक्रेन को सप्लाई नहीं दी है। इससे पहले युद्ध में यूक्रेनी सेना रूस के सामने होने लगी थी। हालत यह है कि विभिन्न क्षेत्रों से अपनी जान बचाने के लिए जापानी सैनिकों को युद्ध के मैदान छोड़कर भागना पड़ रहा है। यूक्रेन के एक रिश्तेदार के बाद एक शहर पर कब्जा कर लिया गया है। लंबे समय बाद पच्चीसी सेना ने फिर से जापोरिज्जिया पर भी लगभग नियंत्रण पा लिया है। जबकि पूर्व में यूक्रेन ने रूस से जापोरिज्जिया को मुक्त कर लिया था। रूस यूक्रेन का सबसे अहम रणनीतिक शहर सैनिक पर सबसे पहले कब्जा कर चुका है। इससे यूक्रेन के हौसले टूटने लगे हैं।
जर्मनी की ओर से वादा किया जाने के बाद भी तेंदुआ 2 टैंक नहीं देने से उसकी निंदा शुरू हो गई है। पूर्व नाटो चीफ जनरल सर रिचर्ड शिर्रफ ने भी यूक्रेन को तेंदुआ 2 टैंक अब तक नहीं दिए जाने से जर्मनी की आलोचना की है। उन्होंने इसे अति दयनीय स्थिति बताया है। जनरल सर रिचर्ड शिरेफ ने कहा कि बर्लिन यूक्रेन की मदद करने के लिए ‘आपकी जिम्मेदारी से भाग ले रहा है’। वहीं अन्य आलोचकों का कहना है कि जर्मन सरकार को डर है कि यदि वह इस टैंक को यूक्रेन को भेजती है तो इसे युद्ध में सीधे जर्मनी की प्रविष्टि मानेगी और वह सबसे पहले उसे गैस की आपूर्ति बंद करके जवाब देगी।
जर्मनी खो रहा है साख
ब्रिटेन के पूर्व नाटो प्रमुख ने बीती रात चेतावनी दी कि यूक्रेन को टैंक रिकॉर्ड करने से जर्मनी का इनकार ‘दयनीय’ है और ‘एक सहयोगी के रूप में यह उसकी रेटिंग के लिए खतरा है। जनरल सर रिचर्ड शिर्रेफ ने रविवार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया में रूसी राष्ट्रपति की तुलना निरंकुश एडॉल्फ हिटलर से मदद करते हुए बताया कि बर्लिन व्लादिमीर की सेना को हराने के लिए ‘अपनी जिम्मेदारी से भाग ले रहा है। उन्होंने कहा कि नाटो सहयोगियों के रूप में जर्मनी का व्यवहार उनकी रेटिंग पर बिल्कुल सवाल उठा रहा है।’ इस निंदनीय टिप्पणी के बाद यूक्रेन को तेंदुआ 2 टैंक देने से मना करने वाले जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज पर दबाव फिर से बढ़ गया है। बर्लिन ने अन्य यूरोपीय देशों को भी जर्मन टैंक यूक्रेन से रोक दिया है।
नाटो संधि को भी क्लॉक करने का आरोप
यूरोप में नाटो के डिप्टी सुप्रीम कमांडर सर रिचर्ड ने कहा कि ‘जर्मनी के अपने इतिहास की वजह से एक विशेष जिम्मेदारी है कि वह यूक्रेन को खून से सने एक निरंकुश (पुतिन से) के खिलाफ माफी में मदद करे, जो (रूस) अपने एक पड़ोसी पर अक्थनीय दर्द देने के लिए तैयार है। जर्मनी भी पहले इसी लेबल पर जा रहा है। हालांकि मैं बहुत अधिक समानताएं नहीं बांधता, क्योंकि यह हमेशा एक खतरा होता है, लेकिन पिछली बार जब किसी ने इस तरह का व्यवहार किसी के साथ किया था तो वह जर्मनी का हिटलर था। उन्होंने कहा कि नाटो संधि में लेखा 5 में यह भी कहा गया है कि इसके किसी भी सदस्य के खिलाफ सशस्त्र हमलों को सभी के खिलाफ हमला माना जाना चाहिए। इसलिए जर्मनी की विशेष जिम्मेदारी है। इसके बावजूद अगर वह जिम्मेदारी से भाग रहा है तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वह कितना विश्वसनीय है।
ब्रिटेन ने भी यूक्रेन को टैंक की गारंटी दी है
तेंदुआ 2 टैंक नहीं देने से चौतरफा जर्मनी की आलोचना शुरू हो गई है। आलोचकों का कहना है कि जर्मन सरकार अपना टैंक नहीं झुकना चाहती, क्योंकि उसे डर है कि वह जवाब में गैस और तेल की आपूर्ति बंद कर देगी। हालांकि ब्रिटेन ने यूक्रेन 14 चैलेंजर 2 टैंक देने का वादा किया है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ने एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में घायल होकर अपने गृहमंत्री के साथ शीर्ष अधिकारियों की स्मृति सेवा और श्रद्धांजलि कार्यक्रम में कल भाग लिया था। उन्होंने इस सप्ताह के अंत में अपने पश्चिमी साथियों से जर्मनी में होने वाली बातचीत में भी टैंकों के लिए अपील की। अमेरिका ने भी विश्लेषण जैसा विश्वासघाती बयान दिया है यूक्रेन को अब्राम टैंक देने से मना कर दिया है। ऐसे में 11 महीने की भीषण लड़ाई के बाद जेलेंस्की को रूस से हार का डर सताने लगता है।



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