छत्तीसगढ़

ओरल हाइजीन डे पर डॉ. नवाज ने दिए मौखिक स्वच्छता व ब्रेसेस से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां

UNITED NEWS OF ASIA. बेमेतरा । 1 अगस्त को ‘ओरल हाइजीन डे’ (मौखिक स्वच्छता दिवस) के अवसर पर वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ. एम.एस. नवाज ने दांतों की स्वच्छता, मौखिक स्वास्थ्य और डेंटल ब्रेसेस से जुड़े पहलुओं पर महत्वपूर्ण सुझाव दिए। उन्होंने बताया कि दांतों का केवल भोजन चबाने में ही नहीं, बल्कि चेहरे की सुंदरता, आत्मविश्वास और संपूर्ण स्वास्थ्य में भी अहम योगदान होता है।

टेढ़े-मेढ़े दांत से बढ़ती हैं समस्याएं
डॉ. नवाज ने बताया कि दांतों की मिसअलाइनमेंट (टेढ़े-मेढ़े, आड़े-तिरछे या भीड़भाड़ वाले दांत) के कारण न केवल चेहरे की बनावट बिगड़ती है, बल्कि बोलने, चबाने और सांस लेने में भी परेशानी होती है। ऐसे दांतों की सफाई भी ठीक से नहीं हो पाती जिससे कैविटी, मसूड़ों की बीमारी और यहां तक कि दिल व फेफड़ों तक संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है।

ऑर्थोडोंटिक ट्रीटमेंट (ब्रैसेस) क्यों है जरूरी
डॉ. नवाज ने कहा कि आर्थोडोंटिक इलाज (डेंटल ब्रेसेस) के माध्यम से इन समस्याओं का समाधान संभव है। यह न केवल दांतों की स्थिति सुधारता है बल्कि व्यक्ति की मुस्कान और आत्मविश्वास को भी बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि 12 से 18 वर्ष की उम्र इस उपचार के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है, लेकिन आवश्यकता अनुसार किसी भी उम्र में ब्रेसेस लगवाए जा सकते हैं।

ब्रैसेस कैसे काम करता है?
उन्होंने बताया कि ब्रेसेस लगातार दांतों पर एक नियंत्रित दबाव डालते हैं, जिससे दांत धीरे-धीरे सही स्थिति में आ जाते हैं। यह प्रक्रिया हड्डी की कोशिकाओं के प्राकृतिक निर्माण-विनाश के सिद्धांत पर आधारित है। पूरे उपचार में 12 से 24 महीने तक का समय लग सकता है, जो मरीज की स्थिति पर निर्भर करता है।

ब्रैसेस के प्रकार:

  • मेटल ब्रेसेस

  • सिरेमिक ब्रेसेस

  • सेल्फ-लिगेटिंग ब्रेसेस

  • क्लियर एलाइनर्स (इनविज़लाइन)

इलाज के दौरान सावधानियां:

  • नियमित रूप से डेंटिस्ट के पास फॉलोअप के लिए जाएं।

  • हर भोजन के बाद ब्रेसेस के अनुकूल ब्रश से दांत साफ करें।

  • चिपचिपे, कठोर भोजन से बचें।

  • ब्रेसेस के बाद रिटेनर पहनना न भूलें।

खराब ओरल हाइजीन से बढ़ सकता है हार्ट अटैक का खतरा
डॉ. नवाज ने आगाह किया कि टेढ़े-मेढ़े दांतों में फंसे भोजन से उत्पन्न बैक्टीरिया केवल दांतों तक सीमित नहीं रहते, वे रक्त प्रवाह के ज़रिए फेफड़ों और दिल तक पहुंच सकते हैं, जिससे निमोनिया, ब्रोंकाइटिस और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं।

चेहरे की मुस्कान से जुड़ा है आत्मविश्वास
डॉ. नवाज ने कहा कि कई लोग अपनी मुस्कान या दांतों की बनावट को लेकर आत्मग्लानि का अनुभव करते हैं। ऐसे में ब्रेसेस एक सौंदर्यात्मक और चिकित्सकीय समाधान बन सकता है। एक सुंदर मुस्कान व्यक्तित्व को आत्मविश्वास और आकर्षण से भर देती है।

अंत में उन्होंने कहा:
“जिंदगी में ख्वाहिशें पूरी हों या अधूरी, लेकिन चेहरे पर एक दिलकश मुस्कान होना बेहद ज़रूरी है।”

 


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