
भारत-चीन तनाव समाचार: अरुणाचल के तवांग में पिछले दिनों भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़पें होने से तनाव की स्थिति पैदा हो गई है। इस बीच एक नई जानकारी सामने आई है कि साल 2017 में डोकलाम क्षेत्र में जहां पर भारत और चीन के बीच विवाद हुआ था, वहां चीन ने कई अवैध निर्माण किए हैं। भारत-तिब्बत-भूटान ट्राई-जंक्शन में डोकलाम विवाद के दौरान दोनों तरफ अपनी-अपनी शक्तियां दिखाई दीं।
‘इंडिया’ की रिपोर्ट के अनुसार, चीन ने अपनी सीमाओं के निकट रणनीतिक को मजबूत किया है। भारी धीमी गति को स्टोर करने के लिए सुरंगों का निर्माण किया गया है और सीमाओं के पास अपनी क्षमताएं देय हैं। हाल के अनुमानों से पता चलता है कि भारतीय सेना भी अपनी रणनीतिक स्थिति को बढ़ा रही है और अपनी भरपाई को आगे की ओर बढ़ा रही है। दोनों ही पंजी कुछ ही मीटर की दूरी पर हैं। इस बीच भारत चीन द्वारा किए गए नए निर्माणों की वजह से चिंतनशील भी है, जिसमें पुल भी शामिल है।
सूत्र का कहना है कि भारत चीनी निर्माण पर नजर रख रहा है और अगर ऐसा लगता है कि भारत की संप्रभुता से समझौता किया जा रहा है, तो कार्रवाई भी की जाएगी। डोकलाम के आस-पास के क्षेत्र में सड़क विस्तार स्थिति की भी खबरें हैं, जहां गतिरोध हुआ था। इसी स्थिति में अमेरिका स्थित अंतरिक्ष फर्मस प्लैनेट लैब्स की कुछ उपग्रह छवियां भी सामने आई हैं, जिसकी पुष्टि हुई है।
भारत-भूटान-चीन ट्राई-जंक्शन से लगभग 9 किमी दूर, चीन भूटान क्षेत्र में अपनी उपस्थिति का विस्तार कर रहा है। पंगडा गांव, 2020 में स्थापित किया गया और 2021 में इसका विस्तार किया गया। इसके बाद हाल ही में दक्षिण में विस्तार किया गया। साईयर इमेजेज में टोरसा जल निकाय पर एक पुल के साथ-साथ नई इमारतों का एक सेट देखा जा सकता है। उत्तर में सीमा से लगभग 20 किमी दूर लैंगमारपो कहते हैं कि नए लेटर के समूह, भूटानी क्षेत्र में चीन द्वारा स्थापित किए जा रहे हैं और इसमें तेजी से निर्माण हो रहा है।
आसानी से हो सकता है कि 2017 से डोकलाम में दो महीने तक भारत और चीन के सील्स के बीच गतिरोध चला गया। यह विवाद तब शुरू हुआ था, तब भारत ने चीन को डोकलाम में सड़क बनाने से रोक दिया था। माना जा रहा है कि इस सड़क की मदद से चीन को सिलीगुड़ी कॉरिडोर तक सीधी जारिया मिल जाएगी, जिससे उसे रणनीतिक एडवांटेज हासिल होगा। इसके बाद दोनों देशों के बीच विवाद बढ़ गया था और फिर अगस्त के आखिरी में दोनों देशों की सेना ने वहां से अपनी सेना को पीछे हटाने का फैसला लिया था।
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