
हर साल डेंगू (डेंगू) एक बड़ी आबादी को प्रभावित करता है। डेंगू के संक्रमण की चपेट में आने पर तेज बुखार, शरीर में दर्द, सिरदर्द, गले में खराश और नाक बहना भी है। इसके दौरान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है। हर बुखार को खबर नहीं माना जाता। नॉमिनेशन एक वायरल इंफेक्शन है, जो मच्छर (Aedes Mosquito) को काटता है। एडीज मच्छर के काटने से उसमें मौजूद वायरस ब्लड में जॉगिंग वायरस फैलने में मदद करते हैं। कई योगासन और प्राणायाम खबरों से हुई कमजोरी से उभरने में मदद करते हैं (Dengue के लिए योग) हैं। यहां योग थेरेपिस्ट डॉ. कार्रवाई की सूचना से रिकवर करने में मदद करने वाले योगासन बता रहे हैं।
4-6 दिन का समय दिखाता है
मच्छर के काटने पर इसके लक्षण दिखने में 4-6 दिन का समय लगता है। यह अधिकतम 10 दिन तक रहता है। गंभीर स्थिति में यह लंबे समय तक परेशान कर सकता है। यह बीमारी जानलेवा भी हो सकती है, क्योंकि इसमें तेजी से ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या घटने लगती है। ऐसे में मरीज को अचानक बुखार के साथ-साथ सिर दर्द भी होने लगता है। इससे मांसपेशियों में तेज दर्द और जोड़ों में दर्द के साथ-साथ आंखों में भी दर्द होता है। थकान, उल्टी और मतली भी हो सकती हैं।
संकेत के लिए योग और आयुर्वेद (डेंगू के लिए योग और आयुर्वेद)
प्रदाह का आयुर्वेदिक उपचार भी किया जा सकता है। आयुर्वेदिक चिकित्सा के अनुसार गिलोय, पपीते के पत्ते, एलोवेरा और अनार जैसी औषधीय जड़ी-बूटी का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यह न केवल प्लेटलेट काउंट में वृद्धि लाता है, बल्कि शरीर की बीमारी जैसी क्षमता को भी उत्पन्न करता है। कई योग मुद्राएं हैं, जो खबर के कारण होने वाली शारीरिक कमजोरी, तनाव, कमजोर प्रतिरक्षा को बढ़ावा देती हैं। योग की मुद्राएं शरीर के साथ-साथ नर्वस सिस्टम के लिए भी लाभ उठाती हैं।
1 सर्वांगासन (सर्वांगासन)
सर्वांगासन में पूरा शरीर कंधे पर संतुलित रहता है। इसलिए इसे शोल्डर स्टैंड (शोल्डर स्टैंड पोज) भी कहा जाता है। इसमें शरीर के सभी अंगों पर प्रभाव पड़ता है और खिंचाव होता है।
कैसे करें सर्वांगासन
हाथों को फ़र्श पर रखें। हेथेलियंस को नीचे की ओर जाना चाहिए।
हाथों को जांघों के नीचे हिप्स के पास ले जाएं।
फोरआर्म्स को फ़्लर्ट पर जाएं और कोहनियों पर वजन रेटिंग को ऊपर लें।
छाती से दूर जाना चाहिए। तब तक सिर को नीचे करें जब तक कि वह फर्श को न छू ले।
2 मत्स्यासन (मत्स्यासन)
शरीर को मछली की मुद्रा में बनाया जाता है। इससे मुक्त प्रणाली मजबूत होती है। मत्स्यासन मधुमेह से लेकर सीक्वल क्रेम्प्स से भी राहत मिलती है।
कैसे करें मत्स्यासन
आंखों को जमीन की ओर रखते हुए हाथों को बगल में रखें।
शरीर और दिमाग को आराम दें। लगातार का सहारा लेते हुए, पेट की मांसपेशियों को सिकोड लें।
पैर धीरे-धीरे-धीरे सीधी स्थिति में बढ़ते हैं।
एक बार जब पैर स्ट्रेट हो जाएं तो हाथों को नीचे दबाएं।
3 नाड़ी शोधन प्राणायाम (नाड़ी शोधन)
नाड़ी शोधन तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलती है। चिंता और थकान से मुक्ति पाने के लिए यह एक अच्छा प्राणायाम अभ्यास है। .
कैसे करें नाड़ी खोज (डेंगू के लिए योग)
सांस पर ध्यान दें। सांस लेने के बाद गहरी सांस लेना शुरू करें।
विष्णु पोज़ बना लें।
बाएं नथ्यूने से सांस लें। सही नथ्यूने से सांस छोड़ें।
दाहिने नथ्यूने से श्वास लें। बाएं नथ्यूने से सांस छोड़ें।
4 कपालभाति प्राणायाम (कपालभाति प्राणायाम)
यह लीवर और किडनी को मजबूत करता है। यह नसों को सक्रिय करता है, मानसिक शक्ति पर नियंत्रण प्राप्त करने में मदद करता है। यह टॉक्सिन्स से मुक्त करता है।

कैसे करें कपालभाति प्राणायाम
वज्रासन या सुखासन में बैठें।
सांसों पर ध्यान दें।
पेट करते हुए दोनों नासिका से तेजी से सांस छोड़ते हैं।
50-100 करना चाहिए।
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