
UNITED NEWS OF ASIA. बालोद | छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के ग्राम तरौदा में डायरिया का प्रकोप फैल गया है। बीमारी के कारण 22 वर्षीय युवक मोहित निसाद की मौत हो गई, जबकि चार अन्य मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है, जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
गांव में लगभग 15 अन्य लोग भी प्रभावित हैं, जिनका इलाज मौके पर ही लगाए गए स्वास्थ्य शिविर में किया जा रहा है। सभी मरीजों को प्राथमिक लक्षणों के आधार पर चिकित्सकीय निगरानी में रखा गया है।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने लगाया शिविर, जांच और इलाज जारी
मामले की जानकारी मिलते ही स्वास्थ्य विभाग तुरंत हरकत में आ गया। CMHO डॉ. महेश सूर्यवंशी ने बताया कि प्रारंभिक जांच में दूषित पानी को डायरिया का कारण माना गया है। विभाग की मेडिकल टीम ने गांव में शिविर लगाकर बीमारों की जांच, इलाज और दवा वितरण शुरू कर दिया है।
“गांव के पेयजल स्रोतों की जांच की जा रही है और ग्रामीणों से उबालकर पानी पीने की अपील की गई है।” – डॉ. महेश सूर्यवंशी, CMHO
डायरिया नियंत्रण के लिए सतर्कता जरूरी
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार, डायरिया जैसी बीमारियों से बचाव का सबसे कारगर उपाय साफ पेयजल और स्वच्छता है। इस स्थिति को देखते हुए गांव में पानी के नमूनों की लैब जांच, दवा वितरण, साफ-सफाई अभियान, और जागरूकता फैलाने जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
मुख्य तथ्य संक्षेप में:
1 युवक मोहित निसाद की मौत, 4 की हालत गंभीर
15 अन्य ग्रामीणों का चल रहा इलाज
दूषित पानी से फैला संक्रमण, स्वास्थ्य विभाग की पुष्टि
गांव में चिकित्सा शिविर, लगातार इलाज और निगरानी जारी
ग्रामीणों को उबला पानी पीने और साफ-सफाई की सलाह
गांव में फैले डायरिया के प्रकोप को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने समय रहते प्रतिक्रिया दी है, लेकिन यह घटना स्वच्छ पेयजल और ग्रामीण स्वास्थ्य ढांचे की गंभीर चुनौतियों को उजागर करती है। ग्रामीणों की सतर्कता और प्रशासन की तत्परता ही इस बीमारी पर नियंत्रण का सबसे कारगर उपाय है।
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