छत्तीसगढ़

1100 वर्ष पुराना रायपुर का बिरंचि नारायण मंदिर उपेक्षा का शिकार, संरक्षण के लिए धर्म स्तंभ काउंसिल ने उठाई राष्ट्रीय माँग

UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, रायपुर । छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर स्थित ब्रह्मपुरी क्षेत्र में लगभग 1100 वर्ष प्राचीन बिरंचि नारायण मंदिर आज गंभीर उपेक्षा का शिकार है। भारतीय पुरातत्त्व धरोहरों में अपना विशेष स्थान रखने वाला यह मंदिर आज भी सरकार के संरक्षण से वंचित है। धर्म स्तंभ काउंसिल ने इस मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित करने की माँग करते हुए इसके जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए एक सशक्त राष्ट्रव्यापी अपील की है।

यह मंदिर भगवान विष्णु के “बिरंचि नारायण” स्वरूप को समर्पित है, जिन्हें ब्रह्मा रूपी विष्णु कहा जाता है। इस मंदिर में अष्टधातु निर्मित विष्णु प्रतिमा विद्यमान है, जो स्थापत्य एवं धार्मिक दृष्टिकोण से अति दुर्लभ है।

लालकिला और ताजमहल से भी तीन गुना प्राचीन है यह धरोहर

इतिहासकारों और स्थानीय परंपराओं के अनुसार बिरंचि नारायण मंदिर का निर्माण 9वीं–10वीं शताब्दी में हुआ था, जबकि लालकिला (1638 ई.) और ताजमहल (1632 ई.) 17वीं शताब्दी में बने थे। इसका अर्थ यह है कि यह मंदिर भारत की कई विश्वविख्यात धरोहरों से तीन गुना अधिक प्राचीन है।

उपेक्षा, अतिक्रमण और क्षरण से संकट में है मंदिर की अस्मिता

धर्म स्तंभ काउंसिल के संरक्षक डॉ. सौरभ निर्वाणी ने बताया कि इतनी ऐतिहासिक महत्ता के बावजूद यह मंदिर न तो भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण (ASI) की सूची में है और न ही छत्तीसगढ़ राज्य पुरातत्त्व विभाग की सूची में शामिल है।
वर्तमान में मंदिर परिसर के चारों ओर अतिक्रमण, असंवेदनशील निर्माण, और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण इसकी मूल संरचना को भारी क्षति पहुँच रही है। प्रकाश व्यवस्था, ऐतिहासिक पट्टों की अनुपस्थिति और सुरक्षा का अभाव इसे गुमनामी की ओर ले जा रहा है।

धर्म स्तंभ काउंसिल की माँगें:

डॉ. सौरभ निर्वाणी, डॉ. रविन्द्र द्विवेदी और रितेश साहू ने संयुक्त रूप से निम्न प्रमुख माँगें रखी हैं:

  1. बिरंचि नारायण मंदिर को ASI द्वारा “राष्ट्रीय महत्व का संरक्षित स्मारक” घोषित किया जाए।

  2. राज्य पुरातत्त्व विभाग द्वारा इसे “राज्य संरक्षित स्मारक” घोषित कर तत्काल कार्य प्रारंभ हो।

  3. मंदिर के चारों ओर 100 मीटर की सुरक्षा परिधि निर्धारित कर अतिक्रमण पर रोक लगाई जाए।

  4. संरक्षण एवं जीर्णोद्धार हेतु विशेष निधि आवंटित की जाए।

  5. मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थल एवं राष्ट्रीय विरासत सूची में सम्मिलित किया जाए।

  6. एक स्थायी संरक्षण समिति का गठन हो जिसमें पुराविद, संत समाज, प्रशासन एवं मंदिर समिति के प्रतिनिधि सम्मिलित हों।

“भारत की आत्मा का जीवंत स्तंभ है यह मंदिर” – डॉ. निर्वाणी

डॉ. निर्वाणी ने कहा –

“यह मंदिर केवल पत्थरों का ढांचा नहीं, भारत की आत्मा का जीवंत स्तंभ है। जिस देश में ताजमहल को विश्व धरोहर घोषित किया गया, वहाँ बिरंचि नारायण जैसे प्राचीन मंदिर की उपेक्षा अत्यंत पीड़ादायक है। यदि हम आज नहीं जागे, तो हमारी भावी पीढ़ियाँ हमें क्षमा नहीं करेंगी।”

धर्म स्तंभ काउंसिल के पदाधिकारियों ने केंद्र और राज्य सरकार से आग्रह किया है कि इस अद्वितीय सनातन धरोहर को राष्ट्रीय विरासत का दर्जा देकर इसका वैज्ञानिक और धार्मिक संरक्षण सुनिश्चित किया जाए।

 


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