
समीक्षा: एड फिल्म मेकर राम माधवानी ने साल 2002 में बोमन ईरानी को लेकर एक फिल्म बनाई थी – चलिए बात करते हैं। एक बहुत ही अप्रत्याशित विषय पर बनी इस फिल्म में फ्यूजन ठुमरी का संगीत के तौर पर इस्तेमाल किया गया था। भारत के अधिकांश एड फिल्मों में संगीत देने वाले राम सम्पत ने इस लाजवाब संगीत विद्या को जन्म दिया था। फिल्म को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई, राम को ढेर पुरुस्कार मिले और राम फिर विज्ञापन की दुनिया में लौट आए। करीब 14 साल बाद राम ने अपनी दूसरी फिल्म ‘नीरजा’ बनाई, जो पैन एयरलाइन्स के विमानों के हाइजैक की कहानी और बहादुर एयरहोस्टेस नीरजा भनोट की जिंदगी पर आधारित थी। इस फिल्म के लिए भी फिल्मफेयर अवार्ड से लेकर राष्ट्रीय फिल्म प्रतिबिंब का फेहरिस्ट बनाया गया। Ram ने इसके बाद डिज़्नी प्लस हॉटस्टार के लिए वेब सीरीज का निर्देशन किया। सुष्मिता सेन अभिनीत ‘आर्या’ जो की बहुत पसंद की गई। इसका दूसरा सीजन भी जल्द ही आने वाला है। इस बीच राम को मौका मिला रॉनी स्क्रूवाला के साथ 2013 की कोरियन फिल्म ‘द टेरर लाइव’ का अधिकार उन्हें हिंदी में खरीदने का। फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है और काम करते हुए देखने को मिली है कि उनकी ये सबसे कमजोर फिल्म चुनी जा सकती है।
फिल्म की कहानी कार्तिक आर्यन की कमजोर संस्था पर चलने की कोशिश की है। कार्तिक टाइप होक्स हैं वो भी एक ही फिल्म (प्यार का पंचनामा) से। क्यूट बॉय, अपनी गर्लफ्रेंड की बात करने वाले, मस्ती लेकिन हदों में, थोड़ी शरारत लेकिन कोई गलत इरादा या काम नहीं। कुछ इस तरह की इमेज उनकी है। धमाका में वो एक टेलीविजन लंगर बने हैं जो रिश्वत लेने के इलजाम की वजह से अपनी ही कंपनी के रेडियो स्टेशन पर एक शो होस्ट कर रहे हैं। पूरी कोशिश में लगे रहते हैं कि किसी तरह उनका प्राइम टाइम शो और टेलीविजन की नौकरी वापस मिल जाए। किसी बात पर उनकी अपनी पत्नी और किसी के चैनल की रिपोर्टर सौम्या (मृणाल ठाकुर) से तलाक भी हो गया है। रेडियो पर शो करते समय उन्हें अचानक एक फोन कॉल आता है, जिसमें मुंबई के वर्ली सी लिंक को अलर्ट करने की धमकी दी जाती है। कार्तिक उसे एक शरारत समझते हैं जिस वजह से चिढ़कर वो कॉलर, ब्रिज का एक हिस्सा उड़ा देता है। इस झटके का खुलासा कार्तिक ने अपने बॉस चैनल हेड अंकिता (अमृता सुभाष) के साथ एक डील के साथ किया है कि उन्हें इस कॉलर से बात करने दें और उनका शो टीवी पर दिखाया जाए फिर उन्हें प्राइमटाइम एंकर का काम भी लौटा दिया। टीआरपी की दीवानी दुनिया में उनके बॉस को ये एंगल पसंद आता है और कार्तिक, टीवी पर लाइव देखा जाता है। इसके बाद होता है धमाकों की शुरुआत जिसमें कार्तिक सब कुछ खो देते हैं और जिस टीवी चैनल के लिए अपना सब कुछ स्टेक्स पर लग जाता है, वो उसे अंतिम रूप से छोड़ देता है। मीडिया का एक झूठा सच की ये कोशिश है धमाका की मूल कथा।
कोरियन फिल्म ‘द टेरर लाइव’ एक सफल फिल्म थी और उन्हें कई पुरस्कार भी मिले थे। इसके भारतीयकरण में नामों के अलावा कुछ भी अलग नहीं किया गया है। ये रीमेक में होता है लेकिन यह फिल्म दुर्भाग्य से बन गई। फिल्म में कई दृश्य थ्रिलिंग थे लेकिन अभिनेताओं की गिरफ्तारी की वजह से उनकी आशातीत प्रभाव देखने को नहीं मिला। कार्तिक आर्यन नामांकन बिल्कुल ही विचित्र नजर आते हैं। उनके चेहरे पर डर और बदहवासी दर्शकों की नजर नहीं आती साथ ही वे एक काईयन न्यूज एंकर भी नहीं जो यात्रियों का फायदा उठाना चाहते हैं। उनमें से सबसे अच्छा अभिनय अमृत सुभाष हैं जो कि निर्मम बॉसबनी हैं। कभी वो कार्तिक को ‘शो मस्त गो ऑन’ का मूल सिखाती हैं तो कभी उसकी कमजोरी से परेशान होकर उसकी नौकरी खा जाने को तैयार नजर आती हैं। मृणाल ठाकुर ने अपनी इस फिल्म को पूरी तरह से शूट कर लिया है। उनका हिस्सा एक ही महत्वपूर्ण सीन है, जिसमें वो भी कुछ खास नहीं हैं। कार्तिक और मृणाल की पिछली कहानी भी पहले अधूरी नज़र आती है तो दर्शकों की चरित्रों से सहानुभूति नहीं मिलती है। फिल्म शुरू होने के कुछ घंटे बाद ही दर्शक समझ जाते हैं कि धमाकों की आतंकवादी घटनाओं के पीछे कौन हो सकता है लेकिन जिस तरह से कार्तिक को ये गुत्थी सुलझाते हुए देखते हैं तो लगता है कि एक शानदार न्यूज चैनल का प्राइम टाइम एंकर कुछ भी नहीं जानता .
ये फिल्म कार्तिक के करियर के लिए तो कुछ नहीं करेंगे काम। बाकी कलाकारों के लिए इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं था। इस फिल्म से सबसे ज्यादा नुकसान अगर किसी को होगा तो वो राम माधवानी निर्देशित कर रहे हैं। कोरियन फिल्म के निर्देशक किम ब्यूंग-वू ने स्क्रिप्ट लिखी थी जिसका अनुकूलन और लेखक पुनीत शर्मा ने किया है। नीरजा और आर्या को देख कर राम से जबरदस्त निर्देशन करने की जो उम्मीद जागी थीं वो इस फिल्म से धराशायी हो गई हैं। राम ने पहली बार इस फिल्म को वुमन लीड मेक करने की कल्पना की थी। पहले तापसी पन्नू और बाद में कृति सैनन को लेकर इस फिल्म की तैयारी की जा रही थी, लेकिन दोनों ही इस फिल्म का हिस्सा नहीं बने। राम ने फिर इसे कोरियन फिल्म की तरह एक पुरुष प्रधान फिल्म के रूप में लिखा और कार्तिक को साइन किया। इस फिल्म के निर्माता राम और रॉनी ने एक अच्छा काम किया कि पूरी फिल्म 45 दिन के बजाय 10 दिन में ही पूरी गोली मार ली। मल्टीपल कैमरा और मल्टीपल माइक फिक्सिंग से पूरी फिल्म के हर शॉट जल्द ही शूट हो गए। एडवरटाइजिंग के दिनों का अनुभव काम आया और चूंकि राम ने पूरी फिल्म का स्टोरी बोर्ड बना रखा था इसलिए टीम के लिए शूटिंग करना बहुत आसान हो गया। फिल्म की पूरी यूनिट एक होटल में थी और फिल्म भी वहीँ शूट हो गई। इन सभी के बावजूद, फिल्म में दर्शकों को बांधे रखने की क्षमता नहीं दिखाई दी। मीडिया का घिनौना चेहरा जहां वो टीआरपी के लिए सब कुछ करने के लिए तैयार हैं वो भी ठीक से उभर कर नहीं आया. संभव है कि इतने दिनों में मीडिया की गंदगी देखने वाले दर्शक भी अब एक तरह से मीडिया के हर स्वरूप के लिए तैयार हो जाएं।
फिल्म में एक गाना रखा है ‘खोया पाया’, जिसके बोल अच्छे हैं और उदीयमान पुनीत शर्मा ने लिखा है। संगीत नीरजा के संगीत निर्देशक विशाल खुराना का है। इस फिल्म का सबसे मजबूत पहलू यही गाना है। इस गाने को काफी पसंद भी किया जा रहा है. एक प्रचारक गाना भी था कसूर (गायक संगीतकार प्रतीक कुहाड़) का। खोया पाया फिल्म की थीम पर बनाया गया है और इसलिए कहानी में फिट बैठता है। राम की वेब सीरीज “आर्या” की सफलता की वजह से इस फिल्म को क्लिंट ने करीब 100 करोड़ रुपए खर्च कर के लिए जुटाए लेकिन ये वजह घाटे का रहेगा। टीवी चैनल के न्यूज रूम में जो होता है वो इस फिल्म में दिखाने का सिर्फ एक प्रयास किया गया है। न्यूज रूम में न्यूज की कहानी किस तरह की है, इसमें कैसे कोण खोजे जाते हैं, कैसे उसका शोषण और दोहन किया जाता है, ये सब बहुत ही सतही तरीके से दिखाया गया है। सिनेमेटोग्राफर मनु आनंद ने अच्छा काम किया है और मल्टी कैमरा सेट अप बड़े अच्छे से हैंडल किया है। निर्णय मोनिशा बलदुआ ने भी बहुत अच्छा संपादन किया है इसलिए फिल्म की अवधि का सटीक नाम है।
धमाका से उम्मीद है तो बहुत सारे थे लेकिन ये पानी कम चाय की तरह हो गई है। न चाय स्वाद का है और न ही रंग. ये फिल्म निर्देशक राम माधवानी के लिए हार की तरह है। इसलिए बहुत ज्यादा क्योंकि रोमांच में ही उनकी फिल्म नीरजा और वेब सीरीज आर्या ने दर्शकों को पूरी तरह बांध रखा था। धमाका इतना बड़ा भी धमाका साबित नहीं हुआ है। अगर कोरियन मूल देख ली हो तो हिंदी देखने में कोई मज़ा नहीं है।
विस्तृत रेटिंग
कहानी | : | |
स्क्रिनप्ल | : | |
डायरेक्शन | : | |
संगीत | : |
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प्रथम प्रकाशित : 27 नवंबर, 2021, 08:46 IST













