
UNITED NEWS OF ASIA: प्रशासनिक लचरता कहें या कहें खानापूर्ति या कहें निरसता, पुराने सरकार के महोदयों के आज्ञाकारी रह चुके आबकारी विभाग को जब से नए सरकार का सुख प्राप्त हुआ है मानों इस विभाग में कार्यवाही और खानापूर्ति का टुनटुना इतना बज रहा है कि अवैध शराब, चखना, शराब दुकानों के कार्यरत कर्मचारी की सेटिंग बैठाने और कार्यवाही के नाम पर धनवर्षा कराने वाले इस यन्त्र को सिद्ध करने के लिए आबकारी विभाग के जिले में बैठे इस पंचतंत्र की टीम ने कोई कसर नहीं छोड़ा है। जिसका सजीव उदाहरण आप कवर्धा शहर के बिलासपुर रोड स्थित शराब की दुकान की भौतिक स्थिति को देख कर लगा सकते है की मेरी उपरोक्त बातें ही पुष्टि का प्रमाण है।
जिस तरह से अपने रुतबे और महोदय के सामने अपनी छबि को सुधारने के लिए इस विभाग ने 35 किमी के क्षेत्रफल में फैले कबीरधाम सहित 40 गाँव के लोगों के जीवनदायनी नदी संकरी के अस्तित्व को संकट में लाकर केंद्र सरकार के आईसीआरजी (इंफ्रास्ट्रक्चर फॉर रेगुलेटरी ग्रोथ) या देश की मातृभाषा में कहूँ तो ग्रामीण विकास मंत्रालय को खुली चुनौती दे डाली है।
तत्कालीन कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा के अनुकर्णीय पहल पर प्रशासन के लाखों रुपय फूंके जाने के बाद जीवनदायनी संकरी का उन्नयन कार्य किया गया था। ठीक ठीक एक बरसात नहीं देख पाए इस नदी पर अब आबकारी विभाग ने शराब दुकान संचालित कर मानों नदी से लाभार्थी गाँव के लोगों के पैरों में देशी विदेशी शराब के बोतलों के टुकड़ों के उनके पैरों में चुभा दिया है।
जिस प्रशासन ने नाले में तब्दील हुए नदी को नया स्वरुप देकर जिन्दा किया आज उसी प्रशासन के आबकारी पंचतंत्र की इस अभूतपूर्व टीम ने नदी को आज फिर से डिस्पोजल, पानी पाउच की पन्नी सहित अन्य कचरों से पाटकर नाले में तब्दील कर दिया है।
क्या फर्क पड़ता है..



- लेटेस्ट न्यूज़ पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- विडियो ख़बरें देखने के लिए यहाँ क्लिक करें
- डार्क सीक्रेट्स की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें
- UNA विश्लेषण की ख़बरें पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें