
UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ में सहायक शिक्षक नियुक्ति विवाद एक बार फिर सुर्खियों में है। न्यायालय से लगातार तीन बार आदेश मिलने के बावजूद नियुक्ति से वंचित शिक्षकों ने अब राज्य के उपमुख्यमंत्री और नगरीय प्रशासन मंत्री अरुण साव से न्याय की गुहार लगाई है। शिक्षकों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के 15 अप्रैल 2025 के स्पष्ट निर्देश के बावजूद उन्हें अब तक बहाल नहीं किया गया है।
क्या है मामला?
2013 में नगरीय प्रशासन विभाग ने 98 पदों पर सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया।
2014 में 43-46 शिक्षकों को नियुक्ति पत्र दिए गए, लेकिन सिर्फ 45 दिन बाद बिना कारण सेवा समाप्त कर दी गई।
2019 में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने शिक्षकों के पक्ष में नियुक्ति का आदेश दिया।
2022 में डबल बेंच ने भी सरकार की याचिका खारिज करते हुए शिक्षकों को बहाल करने का निर्देश दिया।
2025 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार की अपील खारिज करते हुए नियुक्ति बहाल करने का अंतिम आदेश दे दिया।
फिर भी बहाली नहीं
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद, प्रशासन की निष्क्रियता और विभागीय टकराव के कारण अब तक शिक्षकों की बहाली नहीं हो पाई है। इस नियुक्ति को लेकर नगर निगम और शिक्षा विभाग के बीच अधिकार क्षेत्र का भ्रम भी एक बड़ा कारण बताया जा रहा है।
उम्मीद की एक किरण
राज्यभर से आए शिक्षकों ने बुधवार को उपमुख्यमंत्री अरुण साव से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। धमतरी, बलौदाबाज़ार और गरियाबंद जैसे जिलों से आए इन शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने कानूनी लड़ाई जीत ली, अब सिर्फ सरकार की मंजूरी की जरूरत है।
सहायक शिक्षक गवेन्द्र कुमार साहू ने कहा, “हमने वर्षों तक न्यायिक लड़ाई लड़ी, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट दोनों ने हमें बहाली का हक दिया, फिर भी सरकार आदेश को नजरअंदाज कर रही है। हम अब डिप्टी सीएम से आखिरी उम्मीद लेकर आए हैं।”
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठंडे बस्ते में डालने का यह मामला छत्तीसगढ़ में न्यायिक प्रक्रिया की अवमानना का प्रतीक बनता जा रहा है। अब देखना होगा कि डिप्टी सीएम अरुण साव की पहल पर इन शिक्षकों को कब तक न्याय मिल पाता है।
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