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सूअरों पर निर्भर चीन ने बनाया दुनिया का सबसे बड़ा सुअर पालन टावर। गधों के टूटने से पाकिस्तान हुआ कंगाल, अब सूअरों के भरोसे चला गया चीन…बनाया दुनिया का सबसे बड़ा पिग फॉर्मिंग टॉवर

चीन की 26 मंजिला पिग फॉर्मिंग टावर (फाइल)- India TV Hindi

छवि स्रोत: फ़ाइल
चीन की 26 मंजिला पिग फॉर्मिंग टॉवर (फाइल)

नई दिल्ली। दुनिया की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का मुकाबला करते-करते पाकिस्तान अतीत में हो गया। भारत के प्रमुख पड़ोसी और कट्टर दुश्मन पाकिस्तान ने अपनी उद्योग गति देने के लिए गढ़ों का सहयोग लिया था। बड़े पैमाने पर इस देश में गढ़ों को पाला जाता था और उनका निर्यात किया जाता था। पाकिस्तान का पक्का दोस्त चीन उसका सबसे बड़ा खरीदार था। पाकिस्तान के एक मंत्री ने कहा था कि गढ़ पाकिस्तान उद्योग की आपस में संबंध हैं और उनके उत्पादन को बढ़ाने से देश की निर्णय लिया गया है। गधों की कमाई का बढ़ता सपना देख रहे पाकिस्तान का क्या हाल है, उसे पूरी दुनिया देख रही है। अब अपने दोस्त पाकिस्तान की ही तर्ज पर चीन भी चल पड़ा है। चीन भी भारत का पड़ोसी और कट्टर दुश्मन है। यह देश अपने दोस्त पाकिस्तान से भी कई कदम इस मामले में आगे निकल गया है। चीन ने अपनी उद्योग गति देने के लिए अब सूअरों का सहारा लिया है। इसके लिए चीन ने दुनिया का सबसे बड़ा 26 मंजिला पिग फॉर्मिंग टॉवर बनाया है।

देश भर में चीन सूअरों के विशालकाय टॉवर बनाता है

ड्रैग ने अभी मध्य चीन के यांग्त्ज़ी नदी के दक्षिणी तट पर इज़ोऊ शहर के बाहरी इलाके में स्थित 26 मंजिला गगनचुंबी इमारत का निर्माण पिग फॉर्मिंग के लिए किया है। चीन ने इसे दुनिया का सबसे बड़ा फ्री स्टैंडिंग फॉर्म बताया है। इसमें एक साल में 12 लाख सूअरों के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। सूअरों के इतने बड़े पैमाने पर खेती का मकसद खाद्य उत्पादन में सुधार लाना और कृषि उत्पादों पर चीनी निर्भारता को कम करना है। चीनी फॉर्मिंग के जरिए दुनिया भर में कृषि संबंधी रिपोर्टिंग को बढ़ाना चाहता है। साथ ही वह इसके आयात को कम करके धारणा बनाना चाहता है। इसलिए चीन ने इसे राष्ट्रीय अभियान के तौर पर शुरू किया है और अब पूरे देश में इस तरह के गगनचुंबी पिग फॉर्मिंग हाउस बनकर तैयार होने लगे हैं।

नासा कमांड सेंटर चीन का पिग फॉर्मिंग टॉवर जैसा दिखता है
चीन का यह पिग फॉर्मिंग टॉवर दिखने में नासा के कमांड सेंटर जैसा दिखता है। यह बिग बेन वाले लंदन ऊंचा ऊंचा है। यहां दस्तावेजी दस्तावेजों की फिर से शुरुआत की जाती है और उच्च गुणवत्ता से लेकर निगरानी रखी जाती है। यहां सूअरों की पहली खेप सितंबर के अंत में आई थी। इसके बाद उन्हें इन इंडस्ट्रियल लिफ्टों के माध्यम से आकर्षक दृश्यों पर ले जाया गया। यह सभी जन्म लेने से बच्चा देने तक इसी इमारत में रख देंगे। बच्चे की क्षमता खत्म होने पर इन्हें एक्सपोर्ट किया जाएगा। एक साल में करीब 12 लाख सूअरों का इस विशालकाय टॉवर से उत्पादन किया जाएगा। दरअसल चीन में कृषि भूमि दुर्लभ हो जाती है। खाद्य उत्पाद लेटे जा रहे हैं। ऐसे में पालना और उसकी आपूर्ति चीन की स्थिति अनिवार्य हो गई है।

सूअरों के लिए बनाए गए अलग-अलग ब्लॉक
इस इमारत के अंदर दिखने वाला मोनलिथिक हाउसिंग ब्लॉक हर मंजिल में एक युवा के रूप में दिखता है। यह इमारत सुअर के जीवन के विभिन्न चरणों के लिए एक स्व-निहित खेत की तरह काम करती है। यानी कि प्रेग्नेंसी के लिए सूअरों के लिए एक अलग क्षेत्र, सूअरों के पालन के लिए एक अलग हिस्सा, नर्सिंग के लिए अलग जगह और हॉग को मोटा करने के लिए अलग जगह की व्यवस्था है। पियर्स को भरने-पिलाने के सामान को एक पोस्ट बेल्ट पर ऊपरी मंजिल पर ले जाया जाता है, जहां इसे विशाल टैंकों में एकत्र किया जाता है। एक दिन में दस लाख पाउंड से अधिक भोजन को उच्च-तकनीकी बढ़ते गर्त के माध्यम से नीचे की मंजिलों तक पहुंचाते हैं, जो अपने आधार पर हॉग को भोजन करते हैं। इसके बाद सूअरों का जीवन, वजन और स्वास्थ्य का चरण निर्धारित किया जाता है।

चीन के सूअरों से पुरानी नाता
चीन के सूअरों से पुराना प्रेम संबंध रहा है। दशकों से कई ग्रामीण चीनी परिवार अपने घरों के घरों में सूअरों को पाले रहे हैं। इन सूअरों को केवल मांस के लिए ही नहीं, बल्कि खाद के स्रोत के रूप में विशिष्ट विशिष्ट माना जाता था। चीन की संपन्नता के प्रतीक के रूप में सूअरों का सांस्कृतिक महत्व भी है। क्योंकि यहां ऐतिहासिक मौकों और विशेष अवसरों पर सूअर के मांस पर जाने की प्रथा चल रही है। पूरी दुनिया में सूअर का मांस एक ही बार में खाया जाता है, उसका आधा सूअर का मांस अकेले चीन में खाया जाता है। ड्रैगन से ज्यादा मांस का मांस कोई भी देश नहीं खाता। यहां पोर्क (सूअर के मांस की) मुद्रा को मुद्रा के उपाय के रूप में गुप्त रूप से देखा जाता है और देश के स्थान पोर्क को रिजर्व के माध्यम से बनाया जाता है।

यहां का सरकारी मांस विक्रेता जो कम होने पर मुद्राओं को स्थिर कर सकता है, लेकिन पोर्क की सील अन्य प्रमुख देशों की तुलना में अधिक हैं जहां सुमन पालन बहुत पहले औद्योगिक हो गया था। पिछले कुछ वर्षों में उस अंतर को पाटने के बीजिंग के अभियान के हिस्से के रूप में जिम्मेवार अन्य विशाल औद्योगिक सुप्राथ पूरे चीन में फैलाए गए हैं। यहां का एक वर्किंग मेकर अब शूकर प्रजनक बन गया है। हालांकि चीन के मौजूदा सुअर-जन्म अभी भी सबसे उन्नत देश हैं।

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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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