
अलीगढ़: उत्तराखंड के हल्द्वानी (हल्दवानी) में 4000 से ज्यादा मकानों को खाली करने के उच्च न्यायालय (यूके हाई कोर्ट) के आदेश के बाद वहां के निवासियों के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। इसके लेकर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में छात्रों ने पोस्टर लेकर मार्च करते हुए प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना था कि जिस तरह से देश की सरकार काम कर रही है, मुस्लिम के खिलाफ, उसे जिम्मेदार ठहराएंगे।
दरअसल, हलद्वानी में रेलवे की जमीन पर सभी दस्तावेजों को हटाने के लिए हाईकोर्ट का फैसला आया था, जिसमें करीब 4 हजार से ज्यादा दस्तावेज हैं और खाली करने के लिए मकान खाते को नोटिस दिया गया था। इसमें ज्यादातर मुसलमान लोग भी हैं। मामूली को लेकर आज एएमयू में छात्रों ने प्रदर्शन किया। छात्र नेता आरिफ त्यागी ने बताया कि यह विरोध नहीं बल्कि दर्द की आवाज है जो कि हल्द्वानी का हाल देखा है। कड़ी ठंड में सड़क पर परिवार बैठ जाता है। हमारी मां-बहन और बेटियां दर्द का एहसास कराती हैं और उनके ऊपर से छत का झांसा देने का ऐलान हो जाता है।
जैसा कि हमें पता है हमारा आने का मकसद सिर्फ यही है कि हिंदुस्तान की हुकूमत है इस तरह से काम कर रही है उस अंदाज को देखकर आपको अंदाजा होगा। वह जिस तरह से मुस्लिम के खिलाफ फैसला ले रहा है, उसमें नरभक्षी लानी जरूरी है। क्योंकि जब अडानी-अंबानी का कर्ज माफ हो सकता है, भगोड़ों का कर्ज माफ हो सकता है, तो मैं देखता हूं कि मुसलमान जो है उनके ऊपर जुल्म किया जा रहा है, उसे रोकने के लिए कोई ना कोई तरीका निकालो। सालों पहले घर बनाए गए। घर तोड़ने का ऐलान समझ सकता हूं कि किसी भी निचले तबके के लोगों के लिए छत गिरने का मतलब है कि पूरी तरह से कंगल हो जाना। वह अपना घर किस तरह से बनता है। अपने बीवी बच्चों की किस तरह से अल्सर। ये आने वाली नस्ल का सवाल है। सरकार हिंदुस्तान की आवाज सुने और अपने दस्तावेज़ को वापस लें।













