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पहलगाम आतंकी हमले के खिलाफ जामा मस्जिद में प्रदर्शन, पाकिस्तान के खिलाफ नारेबाजी

UNITED NEWS OF ASIA. नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए वीभत्स आतंकी हमले के खिलाफ देशभर में आक्रोश और शोक की लहर है। इस हमले ने न केवल निर्दोषों की जान ली, बल्कि इंसानियत को भी झकझोर कर रख दिया। दिल्ली की ऐतिहासिक जामा मस्जिद आज शुक्रवार को एकजुटता, प्रतिरोध और संदेश का प्रतीक बन गई। नमाज के बाद हजारों मुस्लिम नागरिकों ने वहां ‘ब्लैक डे’ मनाया और आतंकवाद के खिलाफ खुलकर आवाज बुलंद की।

प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तिरंगा और ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ लिखे पोस्टरों के साथ स्पष्ट संदेश दिया—आतंकवाद के खिलाफ भारत एक है। भीड़ में गूंजते नारों ने यह सिद्ध किया कि पाकिस्तान सिर्फ किसी एक धर्म का नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष का दुश्मन है।
“हमारे मजहब में इंसानियत सबसे ऊपर है। आतंक का कोई मजहब नहीं होता, और जो निर्दोषों की जान लेते हैं, वे खुद इंसान कहलाने के लायक नहीं हैं,” – एक प्रदर्शनकारी ने कहा।

“हर घर से निकलेगी आवाज: आतंकवाद का हो विनाश”

जामा मस्जिद की सीढ़ियों पर जुटे प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पहलगाम में हुआ हमला दरअसल पूरी इंसानियत पर हमला था।
पोस्टरों पर लिखा गया था:
“हर घर से निकलेगी आवाज, आतंकवाद का हो विनाश।”
“एक बेगुनाह का कत्ल, सारी इंसानियत का कत्ल है।”

लोगों ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के मुसलमान अपने देश के लिए किसी भी कुर्बानी से पीछे नहीं हटेंगे। जो भी इस मुल्क को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करेगा, सबसे पहले विरोध उसकी कौम के भीतर से उठेगा।

व्यापारी संगठनों ने किया बंद का आह्वान

पहलगाम हमले के विरोध में दिल्ली के 100 से अधिक बाजारों में शुक्रवार को स्वेच्छा से बंद रखा गया। सदर बाजार, चांदनी चौक, भागीरथ प्लेस, खारी बावली, हौज काजी और गांधीनगर जैसे प्रमुख बाजार पूरी तरह बंद रहे। व्यापारियों ने आतंक के खिलाफ एकजुटता दिखाते हुए सरकार से कड़ी और निर्णायक कार्रवाई की मांग की।

आतंकी हमले में 26 टूरिस्टों की नृशंस हत्या

22 अप्रैल को दोपहर लगभग 1:30 बजे, पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकियों ने हिंदू पर्यटकों पर सुनियोजित हमला किया। हमलावरों ने टूरिस्टों से उनका धर्म पूछ-पूछकर गोलियों से छलनी कर दिया। मारे गए 26 लोगों में उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा के साथ-साथ नेपाल और UAE के पर्यटक भी शामिल हैं।
यह हमला पुलवामा (2019) के बाद का सबसे बड़ा आतंकी हमला माना जा रहा है।

संदेश साफ है – भारत आतंक के खिलाफ एक है

आज का दिन केवल विरोध का नहीं, बल्कि एकता, प्रेम और देशभक्ति का प्रदर्शन भी था। भारत के मुसलमानों ने एक स्वर में यह संदेश दे दिया कि मजहब से ऊपर देश और इंसानियत है। यह प्रदर्शन आतंकवादियों के मंसूबों को करारा जवाब और भारत की सामाजिक एकता की मिसाल बन गया।

 


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