
UNITED NEWS OF ASIA. अमृतेश्वर सिंह, राजनांदगांव । मध्यभारत और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व पटल पर पहचान दिलाने वाले संगीत सम्राट रायगढ़ नरेश राजा चक्रधर सिंह को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न देने की मांग उठी है। चक्रधर कथक कल्याण केंद्र, राजनांदगांव के संस्थापक डॉ. कृष्ण कुमार सिन्हा ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर केंद्र सरकार से यह अनुशंसा की है।
डॉ. सिन्हा ने बताया कि महाराजा चक्रधर सिंह (1924–1947) ने मात्र 40 वर्ष की अल्पायु में 23 वर्षों के शासनकाल के दौरान साहित्य, संगीत और नृत्य के क्षेत्र में अमूल्य योगदान दिया। रायगढ़ दरबार उस दौर में कला, संस्कृति और साहित्य का प्रमुख केंद्र रहा।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी राजा
राजा चक्रधर सिंह संस्कृत, हिन्दी, उर्दू और अंग्रेजी के विद्वान होने के साथ ही चक्रषिया (हिन्दी) और फरहत (उर्दू) नाम से लेखन करते थे। उन्होंने ठुमरी, भजन, बंदिशें और कथक नृत्य की अनेक रचनाएं कीं। नृत्यशास्त्र को मजबूत आधार देने के लिए उन्होंने नर्तन सर्वस्वम और मृदंग पुष्पाकर जैसे ग्रंथों की रचना की, जो कथक नृत्य की शास्त्रीय और प्रायोगिक दोनों पक्षों को समृद्ध करते हैं।
संगीत में योगदान
गायन और वादन में पारंगत राजा चक्रधर सिंह ने हजारों राग-रागिनियों की रचना की और राग रंजन मंजूषा तथा ताल तोरण निधि जैसे महत्वपूर्ण ग्रंथ संगीत जगत को दिए। उन्होंने तबला और पखावज पर आधारित ताल पुष्पाकर की भी रचना की, जो आज भी संगीतकारों के लिए मार्गदर्शक है।
भारत रत्न की अपील
डॉ. सिन्हा ने कहा कि जिस प्रकार लखनऊ और राजस्थान के राजाओं ने संगीत और नृत्य को संरक्षण दिया, उसी प्रकार छत्तीसगढ़ के वनवासी-आदिवासी क्षेत्र से निकलकर महाराजा चक्रधर सिंह ने शिक्षण, संरक्षण और संवर्धन की परंपरा स्थापित की। उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार को उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करना चाहिए।
यह मांग चक्रधर कथक कल्याण केंद्र, राजनांदगांव द्वारा प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से की गई, जिसकी जानकारी संस्था के तुषार सिन्हा ने दी।
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