कबीरधामछत्तीसगढ़

युक्तियुक्तकरण की मार से अतिथि शिक्षक बेरोजगार, कलेक्टर से की पुनः नियुक्ति की मांग

“हमारा क्या कसूर है सर, शिक्षक आ गए तो हमें बाहर कर दिया गया”

UNITED NEWS OF ASIA. कबीरधाम । पंडरिया विकासखंड के दर्जन भर अतिथि शिक्षकों का भविष्य इन दिनों गहरे संकट में है। बीते शैक्षणिक सत्र 2024-25 में उपमुख्यमंत्री  विजय शर्मा की पहल पर जिले के शिक्षकविहीन, एकल शिक्षकीय एवं विशेष आवश्यकता वाले विद्यालयों में जिन स्थानीय डीएड/बीएड प्रशिक्षित अभ्यर्थियों को अस्थायी तौर पर अतिथि शिक्षक नियुक्त किया गया था, उन्हें अब युक्तियुक्तकरण नीति के चलते सेवा से बाहर कर दिया गया है

युक्तियुक्तकरण की नीति बनी रोजगार का संकट

शासन के नए सेटअप के तहत जब उन विद्यालयों में नियमित शिक्षक पदस्थ हो गए, तो अतिथि शिक्षकों की सेवा स्वतः समाप्त हो गई। इससे दर्जनों अतिथि शिक्षक बेरोजगारी की स्थिति में पहुंच गए हैं। उनके सामने आर्थिक संकट, जीवन यापन की समस्या, और भविष्य की अनिश्चितता मंडरा रही है।

कलेक्टर गोपाल वर्मा से गुहार, “हमारा भी भविष्य सुरक्षित कीजिए”

आज पंडरिया के प्रभावित अतिथि शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर  गोपाल वर्मा से मुलाकात कर इस सत्र में भी पुनः अध्यापन अनुमति देने की मांग की। शिक्षक तामेश्वर सेन ने कहा—

“हम यह सोचकर आए थे कि नई शिक्षक भर्ती निकलने तक हमें शिक्षण सेवा का अवसर मिलेगा, पर युक्तियुक्तकरण की नीति ने हमें बाहर का रास्ता दिखा दिया। हमारे पास अब न कोई आय का स्रोत है और न कोई सहारा।”

तामेश्वर सेन के साथ जसविंदर गोयल, भागवत प्रसाद, इंक कुमार, सुंदर मरावी, दुर्गेश्वरी चंद्रवंशी, सावित्री साहू, बुगली यादव, कलावती पात्रे, सावित्री पंद्राम सहित कई शिक्षकों ने मिलकर अपनी पीड़ा साझा की।

कलेक्टर का संवेदनशील रुख: समाधान का भरोसा

कलेक्टर  गोपाल वर्मा ने पूरे धैर्य और संवेदनशीलता के साथ अतिथि शिक्षकों की बात सुनी। उन्होंने आश्वस्त किया कि—

“आपकी समस्या को गंभीरता से लिया जाएगा और उच्च स्तर पर इसे उठाकर संभावित समाधान का प्रयास किया जाएगा।”

डीसीएम के सचिव को भी सौंप चुके हैं ज्ञापन

इसके पूर्व भी अतिथि शिक्षक उपमुख्यमंत्री  विजय शर्मा को उनके निजी सचिव  जागेश्वर साहू के माध्यम से ज्ञापन सौंप चुके हैं, पर अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।

जनहित में अपील

इन अतिथि शिक्षकों की मांग है कि जब तक नए नियमित शिक्षकों की भर्ती पूरी नहीं हो जाती, तब तक उन्हें पुनः यथावत अध्यापन का अवसर दिया जाए ताकि वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बने रह सकें।

 


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