UNITED NEWS OF ASIA, रायपुर | छत्तीसगढ़ में पत्रकारों की सुरक्षा एक बार फिर से चर्चा के केंद्र में है। बस्तर के पत्रकार स्वर्गीय मुकेश चंद्राकर की हाल ही में हुई नृशंस हत्या ने राज्य में पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनका शव सेप्टिक टैंक से बरामद होना न केवल पत्रकार बिरादरी, बल्कि पूरे समाज के लिए गहरी चिंता का विषय है।
यह घटना एक बार फिर इस सच्चाई को उजागर करती है कि छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता करना, विशेष रूप से भ्रष्टाचार और संगठित अपराध से जुड़े मामलों को उजागर करना, बेहद खतरनाक हो गया है।
पत्रकार सुरक्षा कानून की आवश्यकता
स्व. मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद राज्य के भाजपा नेता और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने घोषणा की है कि छत्तीसगढ़ में जल्द ही पत्रकार सुरक्षा कानून लागू किया जाएगा। हालांकि, यह देखना बाकी है कि यह कानून कब लागू होगा और इसमें पत्रकारों को किस प्रकार की सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
छत्तीसगढ़ के कई जांबाज पत्रकार साथी अपनी जान जोखिम में डालकर भ्रष्टाचार, अपराध और अन्य सामाजिक बुराइयों को उजागर करते हैं। ऐसे में एक प्रभावी और व्यापक सुरक्षा कानून की आवश्यकता है, जो न केवल उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे, बल्कि उन्हें सशक्त बनाए।
पत्रकार सुरक्षा कानून में इन बिंदुओं का हो ध्यान
- हथियार रखने का लाइसेंस:
पत्रकारों को आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने का लाइसेंस दिए जाने पर विचार किया जाना चाहिए। विपरीत परिस्थितियों में यह उनकी सुरक्षा के लिए सहायक हो सकता है। - दंडात्मक कार्रवाई:
पत्रकारों पर हमले या उनके कार्य में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त दंडात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए। - मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सहायता:
पत्रकारों को तनावपूर्ण परिस्थितियों में काम करना पड़ता है। इसके लिए एक प्रणाली विकसित होनी चाहिए, जो उन्हें मनोवैज्ञानिक और सामाजिक सहायता प्रदान करे। - तेज प्रतिक्रिया तंत्र:
पत्रकारों पर हमले या उत्पीड़न की घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई के लिए एक विशेष तंत्र बनाया जाना चाहिए। - मीडिया स्वतंत्रता की रक्षा:
पत्रकारिता की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए प्रेस की स्वतंत्रता को संरक्षित करने वाले ठोस कानून बनाए जाने चाहिए।
स्वतंत्र मीडिया और पत्रकारों की सुरक्षा पर मंडरा रहा खतरा
आज की स्थिति में पत्रकारिता न केवल समाज का आईना है, बल्कि लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में एक सशक्त भूमिका निभाती है। लेकिन दुनिया भर में पत्रकारों को उनके कार्य के लिए धमकाया जाता है, परेशान किया जाता है, और कई बार हिंसा का शिकार भी होना पड़ता है।
छत्तीसगढ़ में बढ़ती घटनाएं जैसे हत्या, लूटपाट, आत्महत्या, डकैती, दुष्कर्म, और भ्रष्टाचार इस बात का सबूत हैं कि राज्य में कानून व्यवस्था को और सख्त किए जाने की आवश्यकता है।
सरकार को उठाने होंगे ठोस कदम
जब तक पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं होगी, तब तक आम जनता भी असुरक्षित महसूस करेगी। सरकार को न केवल पत्रकार सुरक्षा कानून जल्द से जल्द लागू करना चाहिए, बल्कि इसे प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए ठोस कदम भी उठाने चाहिए।
छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां आए दिन पत्रकारों के साथ ऐसी घटनाएं होती हैं, वहां पत्रकार सुरक्षा कानून न केवल समय की मांग है, बल्कि यह समाज में पत्रकारिता को और सशक्त बनाने के लिए एक बड़ा कदम होगा।