मुंबई: महाराष्ट्र में ‘लव जिहाद’ कानून बनाने की मांग अटक चुकी है। खासकर जब से दिल्ली का श्रद्धा वॉकर हत्याकांड सामने आया है, तभी से महाराष्ट्र में लव जिहाद के खिलाफ आंदोलन छिड़ गया है। पूरे राज्य में हजारों लोगों के ऑफर निकल रहे हैं। ऐसे में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि इन मामलों के पीछे एक डिजाइन है।
महाराष्ट्र में लव जिहाद पर भी सियासत हो रही है। सड़क और विधानसभा के बाद आज ये विधान परिषद में भी गूंजा। सत्तापक्ष के लोगों ने लव जिहाद पर कानून बनाने के मामले में डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस से सवाल पूछा। सरकार के पक्ष में फडणवीस ने कहा कि जबरन धर्म परिवर्तन करने के संदर्भ में महाराष्ट्र में सबसे पहले कानून मौजूद है। इस (लव जिहाद) मुद्दों पर महाराष्ट्र में कई मोर्चों पर निकल पड़े हैं, इसकी जानकारी सरकार को है। लोगों की भावनाओं के बारे में सरकार को पता है। महाराष्ट्र में पहले से ही कानून मौजूद है। अन्य राज्यों में जो कानून बने हैं, उनका अध्ययन किया जाएगा और मौजूदा कानूनों को आवश्यक रूप से मजबूत किया जाएगा।
देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘सकल हिंदू समाज की तरफ से अब तक 40 से ज्यादा मोर्चों पर निकल चुके हैं। इन रैलियों में बड़े पैमाने पर लोग शामिल हो रहे हैं। पीड़ित परिवार का गुस्सा रैलियों में दिखाई दे रहा है। ऐसे केसेस में अब तक भले ही कुछ साबित न हुआ हो, लेकिन पहली नजर में ऐसा दिख रहा है कि इन केसेस के पीछे एक डिजाइन है। किसकी जांच जरूरी है।
लव जिहाद पर कानून बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन
फडणवीस ने कहा, ‘हमारे देश में बहुसंख्यक, अल्पसंख्यक सहित सभी अंग्रेजी को अधिकार हैं। लेकिन अगर बहुसंख्य वर्ग के लाखों लोगों की संभावनाएं निकल रही हैं और उन्हें सरकार देख रही है क्योंकि वो बहुसंख्यक वर्ग के मोर्चे हैं, तो ऐसा सरकार नहीं कर सकती है। सरकार को योग्यता पर इस मांग को परखना ही होगा। लव जिहाद पर कानून बनाने का प्रस्ताव विचाराधीन है, जल्द ही इस पर फैसला लिया जाएगा।’
श्रद्धा को शायद बचा जा सकता है: फडणवीस
फडणवीस ने कहा, ‘इंटरफेथ कमेटी का संदर्भ जो समिति बनाई गई है, उस पर दिए गए सवालों पर जवाब देते हुए फडणवीस ने कहा, श्रद्धा को बरकरार रखा जा सकता है, अगर उनके परिवार से बातचीत बनी रहती है। जब पीड़ित परिवार हमसे मिला, तब वो कह रहे थे कि हम लगातार कोशिश कर रहे थे कि श्रद्धा से बात हो जाए लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। इस समिति का काम सिर्फ इतना होगा कि शिकायत दर्ज कराने पर परिवार की बेटी से एक बार संपर्क करवा दे। बेटी अपनी सहजता से गई है या नहीं, वो खुश है या नहीं, यह जानकारी परिवार को बता सकती है। ऐसे मर्यादित अधिकार ही इस समिति के पास हैं।’
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