छत्तीसगढ़रायपुर

सीएसपी सिविल लाइन्स को गुमराह कर संगठित रूप से झूठी एफआईआर दर्ज कराने वालों पर कार्रवाई की मांग

डायोसिस बोर्ड ने दर्ज कराई काउंटर एफआईआर

अमृतेश्वर सिंह, रायपुर | राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन और कुछ पूर्व पदाधिकारियों के बीच चल रहा विवाद अब कानूनी मोड़ पर आ गया है। बीते 19 जून 2025 को सिविल लाइन्स थाना में डायोसिस बोर्ड के खिलाफ दर्ज की गई एफआईआर को दुर्भावनापूर्ण और सुनियोजित षड़यंत्र बताते हुए डायोसिस की वर्तमान कार्यकारिणी ने काउंटर एफआईआर दर्ज करवाई है। साथ ही इस मामले की शिकायत राज्य के उपमुख्यमंत्री एवं गृह मंत्री  विजय शर्मा एवं पुलिस महानिदेशक से भी की गई है।

आरोप:

छत्तीसगढ़ डायोसिस बोर्ड ऑफ एजुकेशन के उपाध्यक्ष नितिन लॉरेन्स और अन्य पदाधिकारियों ने आरोप लगाया है कि —
यशराज सिंह, वीनू बेनेट, अजय जॉन, व्ही. नागराजू और निलिमा रॉबिन्स ने मिलकर संगठित रूप से सीएसपी सिविल लाइन्स को झूठे, भ्रामक दस्तावेजों के आधार पर गुमराह किया और दुर्भावना से प्रेरित झूठा मामला दर्ज करवाया

प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़:

डायोसिस बोर्ड ने रजिस्ट्रार फर्म एंड सोसायटी से प्राप्त प्रमाणित दस्तावेज़ प्रस्तुत किए हैं, जिसमें नितिन लॉरेन्स को उपाध्यक्ष और जयदीप रॉबिन्सन को सचिव के रूप में मान्यता दी गई है। इन दस्तावेजों के अनुसार, पूर्व पदाधिकारी अपने पद से त्यागपत्र दे चुके हैं, और वर्तमान कार्यकारिणी कानूनी रूप से अधिकृत है।

गंभीर आरोप:

डायोसिस बोर्ड की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में निम्नलिखित आरोप शामिल हैं:

  • सुनियोजित षड़यंत्र के तहत झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई।

  • लोक सेवकों को गुमराह किया गया

  • कुछ आरोपियों पर पहले से ही जालसाजी, ब्लैकमेलिंग, महिला उत्पीड़न, और जान से मारने की धमकी जैसे संगीन मामले दर्ज हैं।

  • फर्जी दस्तावेजों का सहारा लेकर पद के दुरुपयोग का प्रयास किया गया।

 अतिरिक्त दस्तावेज़:

डायोसिस बोर्ड ने अपनी शिकायत में कुल 8 प्रमुख संलग्न दस्तावेज (एनेक्सचर) प्रस्तुत किए हैं, जिनमें कार्यकारिणी की मान्यता, त्यागपत्र की सूची, रजिस्ट्रार का पत्र, और पहले से दर्ज मामलों की जानकारी शामिल है।

संस्था की मांग:

नितिन लॉरेन्स एवं अन्य पदाधिकारियों ने पुलिस महानिदेशक से मांग की है कि –

  • इस झूठी एफआईआर के षड़यंत्र में शामिल सभी आरोपियों के विरुद्ध भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाए।

  • लोक सेवक को गुमराह करना, द्वेषपूर्वक झूठी सूचना देना, और संगठित अपराध करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, जिस पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।

यह प्रकरण न केवल संस्था के अंदरूनी विवाद को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे संगठित प्रयास से प्रशासनिक अधिकारियों को गुमराह कर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग किया जा सकता है। अब देखना यह होगा कि पुलिस और प्रशासन इस काउंटर एफआईआर पर क्या रुख अपनाते हैं और क्या दोषियों पर कानूनी शिकंजा कसता है।

 


यूनाइटेड न्यूज़ ऑफ़ एशिया पर खबरों का विश्लेषण लगातार जारी है..

आपके पास किसी खबर पर जानकारी या शिकायत है ?
संपर्क करें unanewsofficial@gmail.com | 8839439946, 9244604787

व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ें


विज्ञापन के लिए संपर्क करें : 9244604787


निष्पक्ष और जनसरोकार की पत्रकारिता को समर्पित
आपका अपना नेशनल न्यूज चैनल UNA News

Now Available on :

Show More
Back to top button

You cannot copy content of this page