दिल्ली के महापौर को प्राधिकरण के लिए नगर निगम लॉर्ड्स की बैठक का आयोजन छह फरवरी को तीसरी बार किया जाएगा। इससे पहले दो बार मेयर की नाकामी की कोशिश की जा चुकी है। नगर निकायों के चुनाव दो महीने के समय में नतीजों पर पहुंच गए हैं और अब तक शहर को नया महापौर नहीं मिला है।
नई दिल्ली। दिल्ली के महापौर को प्राधिकरण के लिए नगर निगम (एमसीडी) की बैठक सोमवार को बुलाई गई है। इससे पहले महापौर की धारणाएं विफल हो जाती हैं। दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम 1957 के तहत महापौर और उप महापौर का चुनाव नगर निकायों की पहली बैठक में ही होना चाहिए। हालांकि नगर निकायों के चुनाव दो महीने पहले ही हो चुके हैं, लेकिन अब तक शहर को नया महापौर नहीं मिला है।
इससे पहले एमसीडी हाउस की बैठक छह जनवरी और 24 जनवरी को दो बार बुलाई गई थी, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आप) के पार्षदों के हंगामे की वजह से पीठासीन अधिकारियों ने महापौर का चुनाव बिना किसी कार्रवाई के दायित्व बनाए रखा। दी। पिछले साल चार दिसंबर को संपन्न चुनाव के बाद 250 सदस्यीय निकायों का पहला सत्र बिना किसी कारण के चला गया, जबकि दूसरे सत्र में निर्वाचित सदस्यों ने सदस्यों की शपथ लेने के बाद शपथ ली।
शपथ लेने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद सदन के दूसरे पक्ष के सत्र के अधिकारी और भाजपा सदस्य सत्या शर्मा ने अगली तारीख के लिए संरक्षण कर लिया। बीजेपी सदस्यों ने चेंबर के बाहर आप विरोधी और (दिल्ली के लिए) अरविंद केजरीवाल विरोधी नारेबाजी की जबकि आप सदस्यों ने करीब पांच घंटे तक काम किया। बॉडी हाउस की कार्यवाही होने के बाद स्टेट हाउस के सदस्य संजय सिंह सहित आप नेताओं ने दावा किया कि महापौर का चुनाव नहीं होने दिया जा रहा है और बीजेपी लोक तंत्र का गला घोंटकर खतरनाक परंपरा शुरू कर रही है।
एमसीडी चुनाव में आप 134 पार्षदों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर रही थी जबकि बीजेपी को 104 सीटों पर जीत मिली थी। कांग्रेस ने नौ साइट्स देखें। छह फरवरी को सदन की बैठक में भाजपा ने महापौर पद के लिए रेखा गुप्ता को अपना कोष बनाया। वहीं आप की ओर से स्टाइल ओबरॉय महापौर पद की दौड़ में शामिल हैं। उप महापौर के लिए आप और भाजपा ने जुड़ते हैं: आले मोहम्मद इकबाल और कमल बागान को मैदान में चढ़ते हैं। सोमवार को महापौर और उप महापौर के साथ एमसीडी की स्थायी समिति के छह सदस्यों का भी चुनाव होना है।
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