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सीबीआई ने कथित शराब घोटाला मामले में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (मनीष सिसोदिया) को करीब 9 घंटे की पूछताछ के बाद रविवार शाम गिरफ्तार कर लिया। सीबीआई ने सिसोदिया की गिरफ्तारी से पहले पिछले साल अगस्त में दर्ज दर्ज करने के बाद से आबकारी नीति से जुड़े हर पहलू को अच्छे से खंगाला है।
नष्ट किए गए मोबाइल और चैट, आबकारी नीति के ड्राफ्ट में अनावश्यक तरीके से बदलाव, सरकारी गवाह और मामले से जुड़े अन्य लोगों के बयान डिजिटल प्रमाण और अन्य दस्तावेज़ के आधार पर सिसोदिया से कई राउंड पूछताछ की गई। उन्हें आईपीसी की धारा 120-इ (आपराधिक साजिश), 477-अ (धोखाधड़ी करने का इरादा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा-7 के तहत गिरफ्तार किया गया है।
एससीओ फॉर्मूला का दावा है कि यह धाराएं इसलिए भड़कीं क्योंकि इसके ठोस तथ्यों की जांच के दौरान एजेंसी के हाथ लगे। मोबाइल को नष्ट करें, दूसरों के नाम पर मोबाइल लेने और सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप पर कोई जवाब सिसोदिया नहीं दे सकते। पिछले साल 19 अगस्त को मनीष सिसोदिया और 14 अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इनमें से सभी एक्साइज कमिश्नर सहित तीन अधिकारी, दो कंपनियां और नौ कर्मचारी शामिल थे।
सीबीआई की जांच आधार का वो स्टेट की कॉपी है जिसे एजेंसी ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की रिपोर्ट के आधार पर दर्ज की थी। इरफ़ान में बताया गया था कि सिसोदिया के करीबी सहयोगी बड्डी प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, लाइसेंस धारकों से पैसे लेकर अभियुक्तों और सरकारी कर्मचारियों तक पहुंचाते थे।