रक्षा मंत्री सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना चाहता है और इन्हें भविष्य में भी बनाए रखना चाहता है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाएगा।
तिरुंतवनपुरम। जहां एक तरफ भारत के दूसरे देशों के साथ संबंस अच्छे हो रहे हैं, वहीं पडोसी के साथ भारत की दूरियां बढ़ रही हैं। फिर अप्रिय बात श्री लंका की हो या फिर नेपाल की पिछले काफी समय से सार्क की एक भी बैठक नहीं हुऊ हैं। और ज्यादातर पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंध ठीक नहीं चल रहे हैं। पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के संबंध में कठपुतलियाँ आईं। जहां पाकिस्तान हर जगह जा-जाकर भारत के खिलाफ जहर उगता है। वहीं चीन भारतीय सीमा में घुसकर घुसपैठ करने की कोशिश करता है। चीन के साथ भारत के वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंध भी हैं। ऐसे में सीमा पर विवाद और साथ में व्यापार करने के लिए भारत सरकार के फैसले पर काफी सवाल खड़े किए हुए हैं। लगातार चीनी चालों के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जवाब भी दिया। भारत ने चीन को चेता दिया है कि व्यापार और टकराव एक साथ नहीं चल सकते। अब इस पर भारत के रक्षा मंत्री अतिसंवेदनशील सिंह का भी बयान सामने आया है।
रक्षा मंत्री सिंह सिंह क्या कहते हैं-
रक्षा मंत्री सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने पड़ोसियों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध रखना चाहता है और इन्हें भविष्य में भी बनाए रखना चाहता है, लेकिन यह राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर नहीं किया जाएगा। यहां शिवगिरि मठ की 90 वार्षिक तीर्थ यात्रा के दौरान सिंह ने पूर्व प्रधान मंत्री बिहारी निशान की उस टिप्पणी को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि हम दोस्त बदल सकते हैं लेकिन पड़ोसी नहीं। रक्षा मंत्री ने कहा, ”हमें अपने पड़ोसियों के साथ अच्छे और मैत्रीपूर्ण संबंध की जरूरत है। लेकिन, हम अच्छे संबंध बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता नहीं करेंगे। हम अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर किसी के साथ अच्छे संबंध नहीं चाहते हैं।”
रक्षा मंत्री सिंह केरल के समाज सुधार श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं के बारे में भी बात की, जैसे ”उद्योग के माध्यम से समृद्धि”, जो भारत सरकार की ”आत्मनिर्भर भारत” नीति का आधार है। रक्षा मंत्री ने कहा, ”इसी के परिणामस्वरूप हमें दुनिया की शीर्ष पांच कंपनियों में से एक माना जाता है और हमारी सेना को एक शक्ति के रूप में देखा जाता है।” उन्होंने कहा कि जब वह सेना की मदद से और प्रधानमंत्री मोदी को सशस्त्र करते हैं के मार्गदर्शन में भारत के ”शरीर” (सीमाओं) की रक्षा के लिए काम कर रहे थे, तब मठ के संत देश की ”आत्मा” की रक्षा के लिए काम कर रहे थे। सिंह ने कहा, ”मैं आपके द्वारा किए जा रहे कार्यों की मान्यता करता हूं। हम एक राष्ट्र के रूप में तभी जीवित रह सकते हैं जब शरीर और आत्मा दोनों सुरक्षित हों।
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