
UNITED NEWS OF ASIA. कृष्णा नायक सुकमा | हरियाली और भक्ति के पर्व सावन में जहां संपूर्ण भारत शिव आराधना में लीन है, वहीं छत्तीसगढ़ के सुदूर आदिवासी क्षेत्र कोंटा में भी इस मौसम ने महिलाओं को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की सदस्य एवं अधिवक्ता दीपिका शोरी की उपस्थिति में सुकमा जिले के कोंटा नगर में आयोजित “सावन मिलन समारोह” में महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर नारी सौंदर्य, श्रद्धा और परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन किया।
पावन शिव मंदिर में दीपिका ने की पूजा-अर्चना
कार्यक्रम का आयोजन बस्तर क्षितिज सामाजिक सेवा समिति के तत्वावधान में पावन शिव मंदिर परिसर में किया गया। दीपिका शोरी, जो स्वयं समिति की संस्थापक भी हैं, ने सबसे पहले भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर कार्यक्रम की शुरुआत की।
सोलह श्रृंगार और सावन गीतों से सजी संध्या
हरे परिधान में सजी महिलाओं ने सोलह श्रृंगार कर सावन की रिमझिम फुहारों के बीच झूमते-गाते हुए पूरे माहौल को उल्लास से भर दिया।
“सावन आया है झूम के”, “कान्हा अबके सावन में” जैसे गीतों पर महिलाओं ने नृत्य कर कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए। पारंपरिक भजनों से वातावरण में भक्तिरस घुला और करीब चार घंटे तक सांस्कृतिक उल्लास का सुंदर संगम बना रहा।
हर वर्ष होता है ऐसा आयोजन
यह कार्यक्रम केवल एक उत्सव नहीं बल्कि एक परंपरा है। बस्तर क्षितिज समिति द्वारा हर साल सुकमा जिले के विभिन्न स्थानों पर सावन मिलन आयोजित किया जाता है। इस आयोजन का उद्देश्य महिलाओं को एक सांस्कृतिक मंच प्रदान करना है जहाँ वे सामाजिक सरोकारों से जुड़ सकें।
महिलाओं को भेंट में मिला सुहाग का सामान
इस अवसर पर दीपिका शोरी द्वारा महिलाओं को सिंदूर, चूड़ियाँ, आलता, मेंहंदी, स्टील की थाली और फल भेंट किए गए। यह केवल उपहार नहीं, बल्कि भारतीय परंपरा में सौभाग्य और सम्मान का प्रतीक है।
संवेदनशीलता और संस्कृति का संदेश
दीपिका शोरी ने समारोह में उपस्थित महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा —
“सावन केवल ऋतु नहीं, यह हमारी संस्कृति की आत्मा है। इस मिलन कार्यक्रम के माध्यम से हम अपने पारंपरिक मूल्यों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का प्रयास करते हैं। आप सभी का सहयोग रहा तो अगले वर्ष हम और भी भव्यता से यह आयोजन करेंगे।”
विशिष्ट महिलाएं रहीं उपस्थित
इस अवसर पर समाज की सक्रिय महिलाओं अन्नू घोष, आशा हलधर, अन्नू बोगम, अंजली यादव, पल्लवी सहित कई अन्य महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया।
कोंटा जैसे सुदूर अंचल में महिलाओं के लिए ऐसे सांस्कृतिक और भावनात्मक कार्यक्रमों का आयोजन सामाजिक जागरूकता, नारी शक्ति के आत्म-सम्मान और सांस्कृतिक पुनरुत्थान की दिशा में एक प्रेरणादायी कदम है। दीपिका शोरी द्वारा शुरू की गई यह परंपरा अब जनआंदोलन का स्वरूप लेने को तैयार है।
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