
UNITED NEWS OF ASIA. रोहितास सिंह भुवाल, दुर्ग । एक तरफ आजादी के 79वें स्वतंत्रता दिवस पर शहर में जगह-जगह तिरंगे फहराकर जश्न मनाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर ‘महिला मित्र’ के नाम से जानी जाने वाली मितानिनों ने अपने मानदेय और अन्य लंबित मांगों को लेकर आवाज बुलंद की है।
आज राजेंद्र पार्क, दुर्ग में मितानिनों की बैठक आयोजित हुई, जिसमें यह सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि सभी सदस्य 16 अगस्त को रायपुर में होने वाले संभाग स्तरीय धरना प्रदर्शन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होंगी। इस दौरान वे केंद्र और राज्य सरकार का ध्यान अपनी मांगों की ओर आकर्षित कराएंगी।
2002 से निभा रही हैं अहम भूमिका
मितानिन, छत्तीसगढ़ में 2002 से सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत हैं। वे स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। इसके बदले उन्हें केंद्र व राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जाती है, लेकिन मितानिनों का आरोप है कि यह राशि न तो पर्याप्त है, न ही नियमित रूप से मिल रही है।
कार्य बढ़ा, मानदेय घटा
मितानिनों का कहना है कि समय के साथ उनके कार्य का दायरा काफी बढ़ गया है, लेकिन प्रोत्साहन राशि कम होने और समय पर भुगतान न मिलने से जीविकोपार्जन कठिन हो गया है। उन्होंने कहा कि वे केंद्र और राज्य सरकार के बीच पिस रही हैं और बदतर परिस्थितियों में जीवनयापन कर रही हैं।
बैठक में सभी मितानिनों ने एक स्वर में कहा—
“हम अपनी आज़ादी चाहते हैं—आर्थिक असुरक्षा और उपेक्षा से। 16 अगस्त को हम सब रायपुर में अपनी लड़ाई लड़ने जरूर जाएंगे।”
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