
UNITED NEWS OF ASIA. नगर में संचालित ‘सुविधा संपन्न जिम’ की चमकदार दीवारों के पीछे छुपे गुनाह का पर्दाफाश तब हुआ, जब एक युवती ने महिला थाना कवर्धा में शिकायत दर्ज करवाई कि उसके साथ जिम ट्रेनर ने शादी का झांसा देकर बार-बार दुष्कर्म किया।
जिस जिम को महिलाओं की सेहत और सुरक्षा के लिए एक सुरक्षित स्थान बताया गया था, वहीं की दीवारें अब चुप्पी की साजिश में शामिल हो चुकी हैं।
शादी का सपना, फिर हवस का नंगा नाच
आरोपी ट्रेनर ने युवती को भरोसे और प्यार के नाम पर फांसकर कई बार दुष्कर्म किया। आरोप है कि ट्रेनर ने युवती को एक नहीं, बल्कि कई जगहों पर शादी का झांसा देकर अपने झूठे प्रेमजाल में उलझाया और फिर बार-बार उसकी अस्मिता को कुचला।
राजनीतिक छांव में पनपता अपराध?
बड़ा सवाल यह भी है कि –
क्या ये केवल एक “शादी के प्रलोभन के आड़ में अपराध” था?
या फिर ये मामला राजनीतिक सरंक्षण की छांव में पल रहे दुस्साहस का नतीजा?
सूत्रों की मानें तो आरोपी ट्रेनर का सीधा संबंध स्थानीय नेताओं से रहा है। इतना ही नहीं, वह एक पार्टी के नेता द्वारा संचालित जिम में भी ट्रेनिंग देता था।
सवाल जो शासन से जवाब मांगते हैं
1. किसकी सिफारिश पर यह आरोपी सरकारी जिम में भर्ती हुआ?
2. क्या नियुक्ति में पारदर्शिता थी या राजनीतिक पहुंच का खेल?
3. क्या नगर के जिम में महिलाओं की सुरक्षा के कोई मापदंड हैं?
4. क्या इस अपराध के पीछे और भी चेहरों की परतें छुपी हैं?
कार्रवाई या लीपापोती?
महिला थाना द्वारा युवती की शिकायत के बाद गिरफ्तारी तो हुई, लेकिन जिस ढंग से प्रशासनिक सुस्ती देखी जा रही है, वह आने वाले वक्त में महिलाओं की सुरक्षा पर सवाल खडे कर रही है
क्या कवर्धा पुलिस केवल अपराधियों को पकड़ने का कम कर रही या फिर अपराध को रोकने कोई कदम उठा भी रही है क्यूंकि लगतार ये देखा जा रहा है की अपराध घटित होने के बाद ही पुलिस दिखाई पडती है चाहें वो पशु तस्करी का मामला हो या हत्या का
क्या पुलिस का खौफ अपराधियों मे नहीं रहा?
क्या सेलेक्टिव पुलीसिया कार्यवाही चल रही है?
क्या नंबर प्लेट के नाम पर चालान काटकर या फिर शराबीयों के वीडियो बनाकर ही पुलीसिया पॉवर दिखाया जा रहा?
जनता पूछ रही है: क्या “जिम” अब महिलाओं के लिए खतरे की जगह बनते जा रहे हैं?
इस पूरी घटना ने नगर की सुरक्षा कार्यप्रणाली और महिला सुरक्षा की खोखली घोषणाओं पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।
क्या अब सरकारी संस्थानों में भी भरोसा करना गुनाह बनता जा रहा है?
क्या “योग और फिटनेस” के नाम पर महिलाओं को शिकार बनाने की जमीन तैयार की जा रही है?
अब वक्त है – शासन से सख्त जवाब मांगने का।
अब वक्त है – दोषियों को बेनकाब करने का।
अब वक्त है – व्यवस्था की चुप्पी तोड़ने का।
कवर्धा की जनता पूछ रही है – कौन है असली गुनहगार?
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