
UNITED NEWS OF ASIA. असीम पाल, दंतेवाडा | दंतेवाड़ा जिले के सरकारी स्कूलों में शैक्षिक व्यवस्थाएं लगातार बदहाली की ओर बढ़ रही हैं। विशेष रूप से मोलसनार उदेला प्राथमिक शाला की स्थिति बेहद चिंताजनक है, जहां शासन द्वारा भेजी गई राशि का दुरुपयोग होने का आरोप सामने आया है। अगस्त माह में शासन द्वारा अतिरिक्त कक्ष बनाने के लिए राशि स्वीकृत की गई थी, लेकिन अब तक यहां एक भी कक्ष का निर्माण नहीं किया गया है।
क्या है पूरा मामला?
राशि मिलने के बावजूद उदेला प्राथमिक शाला में कक्ष का निर्माण नहीं किया गया, और जब इस बारे में हेडमास्टर धनेस भास्कर से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि ‘जगह की कमी के कारण कक्ष नहीं बनाया गया।’ यह सवाल उठता है कि जब स्कूल में जगह की समस्या थी तो अतिरिक्त कक्ष की मांग किसने की थी? साथ ही, यह भी सवाल है कि राशि का उपयोग कहां किया गया और इस बारे में उच्च अधिकारियों को क्यों नहीं सूचित किया गया?
क्या कहते हैं स्थानीय ग्रामीण?
स्थानीय ग्रामीणों ने यूनिटी पत्रकार संघ दंतेवाड़ा के पदाधिकारियों को जानकारी दी, जिसके बाद पत्रकारों की एक टीम ने उदेला प्राथमिक शाला का निरीक्षण किया। निरीक्षण में पाया गया कि न तो कोई अतिरिक्त कक्ष बनाया गया और न ही किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य शुरू किया गया है।
शिक्षकों की लापरवाही और शिक्षा व्यवस्था पर सवाल
यह घटना केवल एक स्कूल की नहीं, बल्कि पूरे दंतेवाड़ा जिले की शिक्षा व्यवस्था की जर्जर स्थिति को उजागर करती है। जहां शिक्षक समय पर स्कूल नहीं पहुंचते, वहीं स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का भी अभाव है। कई स्कूलों में तो शिक्षक अनुपस्थित रहते हैं, जिससे बच्चों का भविष्य अंधेरे में है।
शिकायत और कार्रवाई की राह
यूनिटी पत्रकार संघ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए दंतेवाड़ा कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी को लिखित शिकायत दी है। अब देखना यह है कि कलेक्टर महोदय इस गंभीर मुद्दे पर क्या कार्रवाई करते हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाते हैं या नहीं।
क्या कार्रवाई होगी?
इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे और शिक्षा विभाग इस स्थिति से कैसे निपटेगा, यह भविष्य में स्पष्ट होगा। लेकिन यह घटना यह साबित करती है कि यदि शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाना है तो हमें भ्रष्टाचार और लापरवाही के खिलाफ कड़ा कदम उठाना होगा।













