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Dahaad Review: सोनाक्षी सिन्हा ढूंढ रही हैं 29 लड़कियों का सीरियल किलर, घुमती सस्‍पेंस के कारण देरी लगी ये ‘दहाड़’

नई दिल्ली। सोनाक्षी सिन्हा ने अमेजन प्राइम की वेब सीरीज ‘दर्द’ के साथ ओटीटी पर अपनी एंट्री मार दी है। सोनाक्षी इस सीरीज में ‘लेडी सिंघम’ यानी पुलिसवाली के किरदार में नजर आती हैं। जोया अख्तर और रीमा काग्‍ती के प्रोडक्‍शन में बनी और रीमा काग्‍ती और इंटरेस्‍ट का ओबोरॉय निरदेशित इस वेब सीरीज में एक सीरियल किलर की कहानी है, जो लड़कियां मार रही हैं। इस सीरियल किलर के अवतार में नजर आए एक्ट्र विजय वर्मा। 8वें एपिसोड की ये वेब सीरीज़ रिलीज़ हो चुकी है और चलिए आपको बताते हैं कि ये सीरीज़ कैसी है।

कहानी: ये कहानी सेट है राजस्थान के मंडावा की जहां एक भाई अपनी बहन के लापता होने की रिपोर्ट लिखता है। इसी बीच एक लव-जिहाद का मामला भी सामने आया है क्योंकि ठाकुरों की लड़की मुस्लिम लड़के के साथ भाग लेती है। पुलिस इस हाई-प्रोफाइल मामले में शुरू होता है और इसी तरह का लाभ जुड़ता है ये भाई भी पुलिस से कहता है कि उसकी बहन भी मुस्लिम लड़के के साथ भाग लेती है। पुलिस इस लड़की को घेरना शुरू करता है और इसी एक लड़की को ढूंढते-ढूंढ़ते पुलिस को पता चलता है कि ऐसी एक-दो नहीं बल्की कई लड़कियां अपने-अपने घरों में भागती हैं और बाद में इनमें साइनाइड खा कर सुसाइड करने की खबर सामने आती है। है। कुल 29 लड़कियों की सेम आदत में मौत होती है और धीरे-धीरे पता चलता है कि ये सुसाइड नहीं बल्की सीरियल किलर का मामला है। इन सभी मामलों की छानबीन कर रहे हैं मंडावा के पुलिस थाने की एसआई अंजलि भाटी (सोनाक्षी सिंहा)। उनका साथी पारगी (सोहम शाह) उन्हें ज्यादा पसंद नहीं करता, जबकि अंजल‍ि का थाना इंचार्ज देवी लाल सिंह (गुलशन देवैया) उस पर छोटे से सॉफ्ट कॉर्नर रखता है इसल‍िए कई जरूरी मामले उसे ही देता है।

‘दर्द’ को रीमा काग्ती और जोया अख्तर ने मिलकर प्रोड्यूस किया है।

8 एपिसोड का सीरियल किलर
‘दर्द’ 8 एपिसोड में बना है और हर एपिसोड लगभग 55 या 56 मिनट का है। शुरुआत के दूसरे एपिसोड से लगता है कि मामला हिंदू-मुस्लिम लव एंगल और ‘लव-जिहाद’ वाले एंगल को टटोल रहा है, लेकिन तीसरे एपिसोड से कहानी का पूरा रूख सीरियल किलर की तरफ मुड़ गया है। लव-जिहाद और सीरियल किलर के इस मामले में बीच-बीच में जाति व्‍यवस्‍था पर भी बातें रखी गई हैं। यहां तक ​​कह छोटी जाती वाली अंजल‍ि भाटी भी सरनेम वर्गीकरण जी रही है। शुरुआती एपिसोड में कहानी पक रही है, किरदार रुख रहे हैं तो इन खुलती परतों के बीच स्‍पीड अच्‍छी लगती है। लेकिन चौथे एपिसोड से 8वें एपिसोड तक कहानी बस गोल घूम रही है, सस्पेंस के कवर कम हो गए हैं। शुरुआत से ही आपको पता चलता है कि सीरियल किलर कौन है, वो काम कर रहा है तो सस्पेंस या थ्रिल जैसा कुछ नहीं है। बल्की कई बार पुलीस पर लाट आ रहा है कि ये कर क्या रहे हैं।

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विजय वर्मा ने ‘डार्लिंग्स’ के बाद एक बार फिर नेगेटिव शेड किरदार किया है।

इस सीरीज की सबसे बड़ी कमजोरी है, यह अधपके किरदार है। शुरुआत से लेकर आखिरी तक किसी भी किरदार का टूर नजर नहीं आता। पहले सीन में प्रेस की हुई ड्रेस पहने टैंकर खा रहे सोनाक्षी के आखिरी सीन तक वही अवतार में नजर आते हैं। इस किरदार की कोई भावनात्मक जर्नी नहीं है, जैसे आप जुड़ें। लेकिन ये सभी सोनाक्षी के साथ नहीं है। बल्की किसी ने भी परतदार परतों को भेदने वाले जेहमत लेखक ने नहीं चुना है। जैसे अपने रिश्ते को लेने के चक्‍कर में डिमोशन जा रहा पारगी (सोहम शाह) अपनी सटीक पत्नियों के साथ पहली बार प्रेग्नेंट होने पर खुश क्‍यों नहीं है? इस बात के तर्क में वो कहते हैं, ‘दुनिया कितनी बेकार है, कैसे-कैसे लोग यहां हैं। ऐसे में जहांबच्चे को कैसे पैदा किया जाएगा।’ ऐसे कई सीन हैं जो शो के अनसुलझे या अधूरे से हैं। पूरा थाना सोनाक्षी भाटी साहब कह रहा है, लेकिन एक शख्‍स है जो उसके निकलते ही कुछ जला कर धुना करता है।

इस सीरियल किलर की कहानी में कई मेटाफर इस्‍तेमाल किए गए हैं। इसी के तहत लड़कियों पर शादी का दबाव परिवार बनाता है, उसे बोझ साबित करते हैं लोगों का नाम हिट होता है। लेकिन ये सब साइड में है जो आपको समझ में आएगा, लेकिन असली आनंद स्वर्णकार पकड़ा जाएगा, ये खोजते-खोजते आपको 8 एपिसोड यानी 8 घंटे का इंतजार करना होगा जो थोड़ा बोझिल हो जाएगा। मुझे लगता है कि अगर 8वें एपिसोड में इस कहानी को कसा जाता है तो ये सीरीज और पैनी हो सकती है। एक और मेरी शिकायत राजस्‍थानी पृष्‍ठभूमी में रची इस कहानी से है, वो है ‘भाषा’। सोनाक्षी की मारवाड़ी तो आपको बार-बार हरियाणवी सी लगने लगी है। बाकी कलाकारों की भाषा भी बार-बार खटकती है। डायलेक्ट के मामले में पूरी सीरीज में सबसे बड़ा काम विजय वर्मा ने किया है।

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सोनाक्षी इस सीरीज में पुलीस ऑफिसर के किरदार में नजर आई हैं।

केस सीरीज में गुलशन देवैया, सोहम शाह, विजय वर्मा जैसे कलाकारों को एस‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍यिया गया,,, ‘जहां वह कुछ नया या जादू का कर जाऊं। वेब सीरीज ‘दुर्गा’ में खुद का सीरियल किलर का किरदार निभा गुलशन देवैया इस सीरीज में बस अंजल‍ि के मोह पाश में बंधी उनकी थियॉरीज नंबर लेती हैं। अंजल‍ि, जिस के साथ बार-बार जाति के आधार पर भेदभाव हो रहा है, पर वो अपने थाने में अपनी सीनियल देवी लाल पर चिल्‍लाला है, पारगी को तो वो नाम से बुलाती है। कहानी के ये सभी पहलू इसे काफी कमजोर बना देते हैं। ओटीटी पर अपनी पहली ‘दहाड़’ से सोनाक्षी अपने करियर को एक स्‍पीड दे सकती थीं। लेकिन ये ‘दहाड़’ उनका कोई भी नया अंदाज या पहलू पर्दे पर नहीं उतारा गया। ये ‘दर्द’, ज्यादा नहीं गूंजी जीने वाली गूंजनी चाहिए थी।

विस्तृत रेटिंग

कहानी:
स्क्रिनप्ल:
डायरेक्शन:
संगीत:

टैग: सोनाक्षी सिन्हा

 


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