जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन सीओपी15 (15वीं सम्मेलन ऑफज़)सफलतापूर्वक संपन्न पार्टी हुई जिसमें भारत सहित लगभग 200 देशों ने प्रकृति की सुरक्षा और निगमन तंत्र के नुकसान के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन सीओपी15 में प्रकृति की रक्षा के लिए यहां पिछले सप्ताह ऐतिहासिक समझौते के बाद दावा किया गया है कि भारत के लिए अब प्रमुख चुनौती वैश्विक जैव विविधता रूपरेखा (जीबीएफ) के साथ राष्ट्रीय लक्ष्य का तालमेल बिठाना और सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण के लिए प्रभावी उपाय करना है। जैव विविधता पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन सीओपी15 (15वीं सम्मेलन ऑफज़)सफलतापूर्वक संपन्न पार्टी हुई जिसमें भारत सहित लगभग 200 देशों ने प्रकृति की सुरक्षा और निगमन तंत्र के नुकसान के लिए एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
इस समझौते की राह आसान नहीं रही क्योंकि इसे चार साल तक बारीक माथापच्ची के बाद इस सम्मेलन में अंजाम तक पहुँचाया गया। भारतीय प्रतिनिधि का नेतृत्व पर्यावरण, वन एवं वन्य जीव परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने किया। उनके साथ सरकारी अधिकारियों की एक टीम थी। यादव ने कहा कि भारत ने सीओपी अध्यक्ष और जैविक विविधता संधि के साथ मंच के तरीके से अपना पक्ष रखा।
पर्यावरण के लिए जीवन शैली (जीवन) के विशाल भारत की शिकायतें, और सामान्य लेकिन अलग-अलग विभिन्न पदार्थ और संबंधित क्षमता को GBF में जगह मिली। पिछले साल ग्लासगो में सीओपी26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘लाइफ’ की शुरुआत की गई थी। इस पहल में पर्यावरण संरक्षण के लिए संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करने की बात कही गई है। राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण (एनबीए) के पूर्व प्रमुख विनोद माथुर ने सहमति प्राप्तते हुए कहा कि भारतीय प्रतिनिधियों ने दक्षिण से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लेकर आम सहमति बनाने में विशेष योगदान दिया।
वास्तव में, जैव विविधता के मामले में समृद्ध अधिकांश देश एशिया, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच स्थित हैं। चीन की बैठक वाला समझौता भूमि, महासागरों और क्षेत्रों को प्रदूषण, हरियाली एवं वृक्षारोपण परिवर्तन से विकास पर केंद्रित है। GBF का लक्ष्य 2030 तक 30 प्रतिशत भूमि, अंतर्देशीय जल और महासागरीय तंत्र का संरक्षण करना है। भारत पहले से ही 113 से अधिक देशों के समूह-उच्च महत्वाकांक्षा गठबंधन (HSi) का सदस्य है, जिसका उद्देश्य 2030 तक दुनिया के 30 प्रतिशत भौगोलिक क्षेत्र को संरक्षण के दायरे में लाना है।
मानदंड का है कि सीओपी15 सम्मेलन में जैव विविधता को बचाने के लिए ऐतिहासिक सौदे के हिस्से के रूप में अपनाए गए ‘डी एसआई’ के माध्यम से प्राधिकरण जैसे फेसबुक, भारत जैसे देशों के लिए धन की आपूर्ति सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। एनबीए के सचिव जस्टिन मोहन ने कहा, वास्तविकता बनने के साथ ही, जैव विविधता से विकसित देशों को अपनी जैव विविधता के संरक्षण के लिए धन प्राप्त करने का लाभ मिलेगा।
यह उन मूल समुदायों की मदद करेगा जो जैव विविधता का संरक्षण करते हैं और पारंपरिक ज्ञान से जुड़े हैं।” डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के नीति अनुसंधान और विकास प्रमुख गुइडो ब्रोखोवेन ने कहा कि डीएसआई वास्तव में संरक्षण पर अधिक प्रयास को वित्तपोषित कर भारत को प्राप्त होगा। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि संरक्षण के इन प्रयासों से संबंधित जैव विविधता वित्त में परिवर्तन होगा।” ब्रोखोवेन ने उल्लेख किया कि गबएफ के लक्ष्य और उद्देश्यों की वैश्विक प्रकृति है। उन्होंने कहा, भारत सहित देशों को अब इनकी अपनी राष्ट्रीय योजनाओं के माध्यम से राष्ट्रीय योजनाओं और उद्देश्यों में बदलाव की आवश्यकता है।
अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।