
UNITED NEWS OF ASIA. बालोद। जिले के आदिवासी विकासखंड के सिंघोला गांव के आदिवासी बच्चों को प्रशासन के उदासीन रवैये का सामना करना पड़ रहा है. गांव के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 1 और क्रमांक 3 में लगभग 30 बच्चे पढ़ाई करते थे, लेकिन अब इन बच्चों को उप स्वास्थ्य केंद्र में पढ़ाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. यह उप स्वास्थ्य केंद्र एक कमरे में स्थित है, जिसमें 6 बेड लगे हुए हैं, और यहां न तो पीने के पानी की व्यवस्था है, न ही बिजली की व्यवस्था है. इसके बावजूद 30 बच्चे वहां पढ़ाई करने को मजबूर हैं.
महिला एवं बाल विकास विभाग इस पूरे मामले से अनजान बना हुआ है, जबकि बच्चों को स्वास्थ्य केंद्र में पढ़ाई करनी पड़ रही है. गांव के आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 3 में बारिश के कारण छत का प्लास्टर उखड़ गया है और पानी टपकने लगा है तो वहीं केंद्र क्रमांक 1 का नवीन भवन लगभग एक साल से निर्माणाधीन है, लेकिन ग्राम पंचायत की उदासीनता के कारण यह अब भी अधूरा पड़ा हुआ है.
आदिवासी विकासखंड में ऐसे कारनामें रोज देखे जा सकते हैं क्योंकि यहां किसी अधिकारी के पास टाइम नहीं है कि वे यहां जाकर हो रहे कार्यों की समीक्षा कर सके. इस कारण कई कार्य आज भी अधूरे पड़े हैं, जिसका खामियाजा मासूमों को उठाना पड़ रहा है.
आदिवासी विकासखंड माइनिंग क्षेत्र के अंतर्गत आता है. माइनिंग से अरबों रुपयों की रॉयलटी भी प्राप्त होती है लेकिन बच्चों के विकास के लिए कोई भी जिम्मेदार ध्यान नहीं देता हैं. अब देखना होगा कि इस पूरे मामले में क्या कार्रवाई होती है और बच्चों को कब नया सर्वसुविधायुक्त भवन प्रशासन मुहैय्या करवाती है.
इस पूरे मामले में कलेक्टर इंद्रजीत सिंह चन्द्रवाल ने कहा कि अधूरे भवन को जल्द पूरा करवाने निर्देश दिया गया है और बच्चों को सुविधाजनक भवन में शिफ्ट किया जाएगा ताकि आदिवासी बच्चों को तकलीफ न हो.
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