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दोनों पैर न होने के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह कर इतिहास रचा, दोनों पैर न होने के बावजूद दुनिया की सबसे ऊंची चोटी एवरेस्ट को फतह कर दिया इतिहास, जान कर रह जाएंगे हैरान

छवि स्रोत: फ़ाइल
माउंट एवरेस्ट पर्वत शिखर

“मंजिलें उन्हें मिलती हैं, जिनके सपनो में जान होती है, नौकरी से नहीं उड़ते…हौसलों से उड़ान भरते हैं”…इन पंक्तियों को चरितार्थ कर दिखाया गया है एक पूर्व फौजी ने। इस फौजी के कारनामे की कहानी सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। दोनों पैर नहीं होने के बावजूद इस पूर्व फौजी ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट को फतह करके बड़ा इतिहास रच दिया है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि बिना पैरों के भी कोई माउंट एवरेस्ट की ऊंची चोटी तक पहुंच सकता है…शाल नहीं, लेकिन नेपाल के इस पूर्व फौजी ने जो अद्भुद और अदम्य चमत्कार दिखाया है, उसे पूरी दुनिया सलाम कर रही है । आइए अब आपको इस गोरखा सैनिकों की बहादुरी के दास्तान बयान करते हैं।

नेपाल के ये फौजी ब्रिटेन की तरफ से अफगानिस्तान में 2010 में जंग लड़े थे। इसी दौरान उनका दोनों पैर लग गया। अब इसी पूर्व ब्रिटिश गोरखा सैनिक ने दोनों पैरों के बिना ही माउंट एवरेस्ट का इतिहास रच दिया है। कृत्रिम टांगों से दुनिया की सबसे बड़ी चोटी पर चढ़ने वाला यह फौजी दुनिया का पहला व्यक्ति बन गया है।

43 साल के पूर्व फौजी ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी को फतह किया

43 वर्षीय पूर्व दोषियों ने हरि बुधमागर ने शुक्रवार दोपहर 8848.86 सबसे ऊंची चोटी फतह करके दुनिया को चौंका दिया। पर्यटन विभाग के एक अधिकारी ने कहा, “दोनों पैरों से अशक्त पूर्व सैनिक हरि बुधमागर ने शुक्रवार को माउंट एवरेस्ट फतह कर नया इतिहास रच दिया।” वह इस श्रेणी में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी फतह करने वाले पहले व्यक्ति हैं। बुधमागर ने 2010 में अफगानिस्तान युद्ध में ब्रिटिश गोरखा के एक सैनिक के रूप में ब्रिटेन सरकार के लिए लड़ते हुए अपने दोनों पैरों को जकड़ लिया था। बुधमागर ने अपने सपने को पूरा करने के लिए पैर नहीं होने को नहीं बनने दिया, बल्कि अपने हौसलों के दम पर कृत्रिम पैर से ही माउंट एवरेस्ट को फतह करने की जड़ ठान ली और उसे दिखाया।

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