नई दिल्ली। कोरोना के बाद से ही देश भर में हार्ट अटैक के मामलों में बताहाशा बढ़ रहा है। हंसते, नाचते, बात करते हैं, चलते हैं, काम करते हैं, यात्रा करते हैं, योगा या जिम करते हैं जब किसको हार्ट अटैक आ जाए, कुछ पता नहीं चलता। अब हार्ट अटैक कम उम्र के युवाओं में भी तेजी से हो रहा है। सोशल मीडिया पर अक्सर सोशल मीडिया पर वायरल होते जा रहे हैं सोशल मीडिया पर हार्ट अटैक के वीडियो। इससे देश भर के लोगों में दहशत का माहौल बना है। कोई भी पोस्ट कोविड का प्रभाव होने से जोड़ रहा है तो किसी भी कोविड वैक्सीन के दुष्प्रभाव होने की आशंका जाहिर कर रही है। कई भारतीय डॉक्टरों ने भी कोविशील्ड वैक्सीन से हार्ट अटैक की आशंका जाहिर की है। इसलिए ही नहीं भारतीय डॉक्टरों ने इस आशंका के आधार पर समीक्षा की अपील भी की है, जिसे ब्रिटेन ने मान लिया है। अब कोविशील्ड वैक्सीन की समीक्षा होगी। ताकि यह पता चल सके कि संदेशवाहक आक्रामक हार्ट अटैक की वजह से कोविशील्ड वैक्सीन ही है।
आपको बता दें कि दिल का दौरा कई गंभीर घबराहट की आशंका को लेकर कई भारतीय चिकित्सा नामांकन ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका के कोविड-19 टीके के उपयोग की पूर्ण सुरक्षा समीक्षा के लिए एक प्रख्यात ब्रिटिश-भारतीय हृदय रोग विशेषज्ञ की अपील का समर्थन करने के लिए किया है। भारत में ऑक्सफ़ोर्ड/एस्ट्राजेनेका का यह टीका कोविशील्ड के रूप में जाना जाता है। ब्रिटेन में नेशनल हेल्थ सर्विस (एनएचएस) के प्रशिक्षित डॉक्टर डॉकॉम मल्होत्रा फाइजर कंपनी के एम-आरएनए टीके टीके का उपयोग रोकने के लिए अंतराष्ट्रीय अपील का भी नेतृत्व कर रहे हैं।
कोविशील्ड के लाभ पर भारी नुकसान हो रहा है
उल्लेखनीय है कि पिछले साल प्रकाशित एक अध्ययन में चेतावनी दी गई थी कि कोविशील्ड वैक्सीन का नुकसान ज्यादातर लोगों को हुआ है, इसका लाभ पर भारी पड़ सकता है। एस्ट्राजेनेका कोविड टीकों का उपयोग रोकने के लिए ‘साक्ष्य मामला’ बनाने के लिए वास्तेय कोविड टीकों पर शर्तवार लेक्चर देने की स्थिति में वह इस सप्ताह भारत में हैं। डॉ मल्होत्रा ने कहा, ”एस्ट्राजेनेका कोविड टीके के गंभीर छवि के कारण इसका उपयोग 2021 की शुरुआत में कई यूरोपीय देशों में रोक दिया गया था, इसलिए यह देखकर अजीब लगता है कि भारत इसका उपयोग नहीं रोक रहा है। उन्होंने कहा, ”फाइजर के एम-आरएनए टीके के पक्ष में ब्रिटेन में इसके उपयोग को चरणबद्ध तरीके से बंद किए जाने से पहले छवि के मामलों की संख्या 97 लाख खुराक के बाद आठ लाख थी। जून 2021 में प्रकाशित एक अध्ययन में यह सामने आया कि एस्ट्राजेनेका के कोविड टीके का फाइजर एम-आरएनए की तुलना में अधिक प्रभाव था।
कई देशों से आंकड़े जा रहे हैं
डॉक्टरों के विश्लेषण ने इस सप्ताह नई दिल्ली और मुंबई के दौरे पर उनके प्रश्नों से पहले भारत में चिकित्सा का समर्थन पाया है। महामारी एवं दीवाई पाटिल मेडिकल कॉलेज, फौरी में प्राध्यापक डॉ. अमिताभ बनर्जी ने डॉ मल्होत्रा द्वारा जारी एक बयान में कहा, ”कई देशों की ओर से प्राप्त रिपोर्ट से यह प्रदर्शित होता है कि कोविड-19 टीकाकरण के बाद मौत की दर बढ़ गई। हमें सोच-विचार किए आगे बढ़ने से पहले थोड़ा रुकना होगा। उन्होंने कहा, ”भारत में इस्तेमाल किए जा रहे कोविशील्ड टीके से दोहरा खतरा है। रक्त का थक्का जमने जैसे गंभीर जुड़ाव के कारण ज्यादातर यूरोपीय देशों ने इसका उपयोग करने में संकोच किया है।
यह दिल की मांसपेशियों के ऊतकों में सूजन का भी खतरा पैदा करता है। इसके बारे में पुख्ता सबूत हैं कि हृदय से जुड़ी यह समस्या एम-आरएनए टीकों से जुड़ी है। बहुत से लोगों को शायद यह नहीं पता होगा कि कोविशील्ड में एक एडेनोवायरस पर एक डीएनए जीन होता है, जो इंजेक्शन के बाद शरीर में एम-आरएनए में छा जाता है।” उन्होंने कहा, ”हमारे देश में कोविड-19 की मौजूदा स्थिति और टीके के प्रतिद्वंद्विता प्रभावों की पहचान करने के खराब तंत्र के मद्देनजर हमें फौरन वैक्सीन टीकाकरण रोकना चाहिए, जब तक कि मतदाताओं के टकराव के खोजी इन मुद्दों का हल नहीं लेते हैं।
एम्स की राय
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में कम्युनिटी मेडिसिन के प्राध्यापक डॉ संजय के.राय ने कहा, ”वैश्विक दृष्टिकोण ने यह चित्रित किया है कि प्राकृतिक रूप से होने वाला संक्रमण की तुलना में बेहतर और लंबी अवधि की प्रतिरक्षा बहाना करता है। मौजूदा परिदृश्य में कोविड के खिलाफ सार्वभौम टीकाकरण की जरूरत नहीं है। इसकी तुलना में अधिक हानि हो सकती है।’ हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की सलाह में कहा गया है कि भारत में कोविशील्ड के रूप में निर्मित किया जा रहा है और ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका का कोविड-19 टीके 18 वर्ष और जा रहा है। इससे अधिक उम्र के लोगों के लिए सुरक्षित और जोखिम है।