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कमज़ोरों को कम जीवन स्तर वाले बोलने पर अदालत ने इरडा की खिंचाई की

आईआरडीए

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अदालत ने भारतीय बीमा दस्तावेज एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) को अपनी शर्तों में प्रयोग की गई लिपिकीय ‘निम्न जीवन-स्तर’ को भरोसे के लिए कदम उठाने के लिए कहा।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने संकुचित होने के लिए स्वास्थ्य बीमा योजना तैयार करने के लिए बीमा विवरण इरडा से सभी बीमा प्राधिकरण की बैठक बुलाने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि प्रस्तावित इन योजनाओं को दो महीने के भीतर ही खत्म कर दिया जाएगा। साथ ही अदालत ने कहा कि जीवन के अधिकार में स्वास्थ्य अधिकार समाहित है। अदालत ने भारतीय बीमा दस्तावेज एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) को अपनी शर्तों में प्रयोग की गई लिपिकीय ‘निम्न जीवन-स्तर’ को भरोसे के लिए कदम उठाने के लिए कहा।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अल्प व्यक्तियों का उल्लेख करते समय ऐसी ‘अस्वीकार्य कार्यशाला’ का उपयोग न किया जाए। शानदार टैलेंट एम सिंह ने कहा कि असंबद्ध लोग स्वास्थ्य बीमा कवर के लिए पात्र हैं और उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है। अदालत ने अपने आदेश में कहा, ”कानून में यह तथ्य को स्थापित करता है कि जीवन के अधिकार में स्वास्थ्य का भी शामिल है और स्वास्थ्य देखभाल उसका एक बड़ा अंग है… अल्प व्यक्तियों के अधिकार अधिनियम 2016 में संक्षिप्त व्यक्तियों के बीमा अधिकार को लेकर कोई अस्पष्टता नहीं है।

धारा 3, 25 और 26 से यह स्पष्ट होता है कि जहां तक ​​स्वास्थ्य देखभाल और अन्य संबंधित बंटवारे का संबंध है, तो असंतुलित व्यक्ति के साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है।” अदालत ने एक निवेश पेशेवर की याचिका पर यह आदेश दिया, जो कुछ भी प्लेसिया के कारण व्हीलचेयर पर टिका था और उसे छाती के नीचे लकवा मार दिया गया था। दो बीमा प्रबंधकों ने उन्हें कोई भी स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी जारी करने से मना कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

अस्वीकरण:प्रभासाक्षी ने इस खबर को निराशा नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआइ-भाषा की भाषा से प्रकाशित की गई है।



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Saurabh Namdev

| PR Creative & Writer | Ex. Technical Consultant Govt of CG | Influencer | Web developer
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