छत्तीसगढ़

समग्र शिक्षा विभाग की भर्ती में भारी भ्रष्टाचार का आरोप: ठेका कंपनियों ने पद बेचे 2.5 से 3 लाख में – कांग्रेस

भर्तियों में भारी अनियमितता, पारदर्शिता पर सवाल, कांग्रेस ने परीक्षा निरस्त करने की मांग की

UNITED NEWS OF ASIA. रामकुमार भारद्वाज, रायपुर । छत्तीसगढ़ के समग्र शिक्षा विभाग में ठेका कंपनियों के माध्यम से हुई भर्तियों को लेकर प्रदेश कांग्रेस ने बड़ा भ्रष्टाचार उजागर करते हुए पूरी प्रक्रिया को रद्द कर पुनः निष्पक्ष भर्ती कराने की मांग की है। कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने आरोप लगाया कि पदों को 2.5 से 3 लाख रुपए तक में बेचा गया, जिससे हजारों योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित रह गए।

3 दिन में पूरी भर्ती प्रक्रिया, 35,000 पेपर जांच – ‘कीर्तिमान’ या घोटाला?

ठाकुर ने कहा कि जेम पोर्टल के जरिए 13 अलग-अलग ट्रेड जैसे कंप्यूटर ऑपरेटर, आईटी, डाइटिशियन, हेल्थ केयर और नर्सिंग स्टाफ आदि में भर्ती के लिए ठेका कंपनियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इन कंपनियों ने मात्र 3 दिन में आवेदन, स्क्रूटनी, परीक्षा, मूल्यांकन और इंटरव्यू की पूरी प्रक्रिया पूरी कर ली। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि –

“यह प्रक्रिया नहीं, शोध का विषय है। इतनी तेजी से भर्ती करना पारदर्शिता नहीं, पहले से सेटिंग का प्रमाण है।”

शपथ पत्र के नाम पर ली गई रिश्वत, युवाओं के साथ धोखा

कांग्रेस प्रवक्ता ने दावा किया कि चयन से पहले ही जिनका चयन होना था, उनकी सूची तैयार थी और उनसे ₹10 के स्टांप पेपर पर रिश्वत न लेने का शपथ पत्र भरवाया गया।

“यह दर्शाता है कि भर्ती में पैसे का लेन-देन पहले ही तय हो चुका था।”

उन्होंने आरोप लगाया कि कई अभ्यर्थियों ने शिकायत की है कि उनसे मोटी रकम मांगी गई और जो चयनित हुए, उन्हें पहले से साइट की ओपनिंग और क्लोजिंग टाइम की जानकारी थी।

“यह पूरी प्रक्रिया युवाओं के भविष्य के साथ किया गया संगठित धोखा है।”

कोविड वॉरियर्स को भी नज़रअंदाज़ किया गया

धनंजय ठाकुर ने कहा कि परीक्षा में कोविड काल में सेवा देने वाले युवाओं को 10% बोनस अंक देने का प्रावधान था, लेकिन उसे पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया, जिससे सैकड़ों योग्य उम्मीदवारों के साथ अन्याय हुआ।

कांग्रेस की मांग: FIR, ब्लैकलिस्ट और निष्पक्ष जांच

कांग्रेस ने इस मामले में गंभीर कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि:

  • ठेका कंपनियों को ब्लैकलिस्टेड किया जाए

  • एफआईआर दर्ज की जाए

  • पूरी भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर पुनः पारदर्शी प्रक्रिया से नियुक्ति हो

  • जिन युवाओं से पैसे वसूले गए हैं, उन्हें न्याय मिलना चाहिए

समग्र शिक्षा विभाग में हुई इस त्वरित भर्ती प्रक्रिया ने राज्य में भर्ती पारदर्शिता और नौजवानों के भरोसे पर बड़ा प्रश्नचिह्न खड़ा कर दिया है। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस पर कोई ठोस कार्रवाई करती है या मामला राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में ही सिमट कर रह जाएगा।

 


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