कांग्रेस का महा अधिवेशन: कांग्रेस के महाधिकारण के बाद पार्टी के अंदर ही आपसी मनमुटाव खत्म हो गया है क्या? अब 2023 में होने वाले 9 राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस यूनिटी की नजर आएगी? या फिर 2024 में केंद्र फिर सत्ता वापसी कर पाएंगे? ये सारे प्रश्न महावेशन के बाद फिर से राजनीतिक गलियारों में उठने लगते हैं। क्या कांग्रेस पार्टी राज्यों में आपसी संघर्ष और नेताओं के पलायन का समाधान इस अधिवेशन से निकाल पाई है? प्रलेखन इसी को समझने की कोशिश करता है।
कांग्रेस का रायपुर में महा अधिवेशन
दरअसल छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कांग्रेस पार्टी का 3 दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ है। इस अधिवेशन में लाखों कांग्रेसी नेता शामिल थे। इसमें कांग्रेस की टॉप लीडरशिप भी मौजूद थी। सभी नेताओं ने एक साझा मंच पर राज्यों की विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाली सातवीं चुनाव के लिए हुंकार भरी है। लेकिन कांग्रेस पार्टी की सबसे बड़ी समस्या नेताओं की आपस में गुटबाजी है, इस पर महावेशन में कोई कार्य नहीं हुआ है।
इन 3 राज्यों में कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती
कांग्रेस पार्टी में आपसी गुटबाजी के कारण नुकसान उठाना पड़ा है। देश में 2014 के बाद से कांग्रेस पार्टी लड़ रही है। पार्टी लोकसभा में करारी हार के बाद राज्यों की विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ रहा है। भारत के राजनीतिक अधिकार में केवल 3 राज्यों में सिमट गया है। लगातार नेताओं का पलायन चल रहा है। 2018 में कांग्रेस ने 3 राज्यों में जीत दर्ज की लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद भी आपसी गुटबाजी की सरकार गिर गई।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच खटास के कारण सरकार एक साल ही पाई पाई। राजस्थान में लगभग चार साल तक गहलोत कर्मचारियों की कुर्सी बचाते फिरते रहे हैं। अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच की दरार नजर आई है। इसी तरह छत्तीसगढ़ में सत्ता की कुरसी के लिए कई सालों तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव के बीच संघर्ष चलता रहा है। ये नजारा भी खास दिखाई दिया है।
निजी स्वार्थी पार्टी की विचारधारा हावी हो जाती है
अब फिर से इन तीन राज्यों में इस साल चुनाव होने वाले हैं तो क्या कांग्रेस में सब कुछ ठीक हो गया है। महा अधिवेशन पार्टी आलाकमान ने जुड़ कर दिया है क्या? छत्तीसगढ़ कांग्रेस के कुछ नेताओं ने कहा कि छत्तीसगढ़ में फिर से कांग्रेस की सरकार बनेगी। राजनीति के क्षेत्र में नेताओं का नाम बना रहता है। कुछ लोग रहते हैं जो उनकी निजी स्वार्थ के कारण पार्टी की विचारधारा को देखते हुए किसी दूसरी पार्टी में शामिल हो जाते हैं। ऐसा नहीं है कांग्रेस से जा रहा है, कांग्रेस में बहुत सारे लोग आ भी रहे हैं।
बीजेपी में जाने वाले लोगों को भाव नहीं मिलता है
इसके अलावा कुछ लोगों ने ये भी कहा कि चुनाव आते ही सभी पार्टियों में लोग हिस्सा लेते हैं, लोग इस पार से उस पार हो जाते हैं। जाने वालों की परंपरा कायम है। बीजेपी में भी कई बड़े दिग्गज कांग्रेस में भागे, कुछ लोग गए स्वतंत्र विचारधारा है जहां अच्छा लगता है कि जाना चाहिए लेकिन छत्तीसगढ़ कांग्रेस का गढ़ बन गया है। इसके अलावा एक और विधायक ने ये कहा कि जो चले गए वो पश्चता रहे हैं। बीजेपी में जो लोग गए हैं उन्हें नहीं मिलता है। पता चला कि वे चले गए और उनके अधिकार हो गए कि कांग्रेस में क्या सम्मान था।
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