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सचिन पायलट: राजस्थान के अशोक गहलोत और कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारी तेज कर दी है। वहीं कांग्रेस नेता सचिन पायलट आलाकमान के द्वारा स्पष्ट निर्देश मिलने के बावजूद अपनी ही सरकार के खिलाफ अपने अभियान को रोक नहीं रहे हैं। पार्टी सूत्र का कहना है कि पंजाब में कांग्रेस ने जो गलती की है, वह राजस्थान में दोबारा नहीं होगी। आपको बता दें कि अमरिंदर से इस्तीफा लेकर कांग्रेस ने पंजाब में चरणजीत सिंह चन्नी को बनाया था। बाद में यहां कांग्रेस को करारी हरजीतनी तय की।
अभी राजस्थान में सचिन पायलट को सिर्फ गुर्जरों का ही नेता माना जाता है। दूसरी जातियों में उनका पैथ नहीं दिखता है। शायद यही कारण है कि सचिन पायलट ने शक्ति प्रदर्शन करने के लिए राजस्थान में रैलियों को संदेश दे रहे हैं। उनके खेमे के मंत्री और बनने का दावा है कि इस रैली में समाज के हर हिस्से को लोग शामिल हो रहे हैं।
सचिन पायलट ने कांग्रेस की अव्यवसायिक दूरी बनाई
भाजपा से अधिक गहलोत सरकार के दौरान सचिन पायलट किसान सम्मेलन रैली के दौरान सीधे तौर पर घिनौना दिखता है। यही कारण है कि पार्टी आलाकमान उन्हें कोई तवज्जो देने के मूड में नहीं दिख रही है। लेकिन नेतृत्व उनके रैलियों पर पैनी नजर रखता है। आपको बता दें कि सचिन पायलट न तो आलाकमान द्वारा बुलाए गए हिस्से में भाग ले रहे हैं और न ही प्रदेश इकाई की किसी बैठक में। उन्होंने पार्टी के हाथ से हाथो अभियान से भी दूरी बनाए रखी है। ऐसा माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान राजस्थान में पार्टी की सरकार पर सवाल उठाने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
गहलोत के साथ चुनाव की तैयारी में जुटी Congress
कांग्रेस पार्टी ने सचिन पायलट की रैली से दूरी बना ली है। अशोक गहलोत सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दम पर अगले चुनाव जीतने की योजना पर काम कर रही है। नेताओं को योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने के लिए कहा गया है। पिछले महीने राजस्थान में भारत जोड़ने की यात्रा के बाद पार्टी ने एकता के साथ काम करना शुरू किया। प्रदेश का मामला सुनखजिंदर सिंह रंधावा ने जिला से लेकर ब्लॉक स्तर तक संगठन में सबसे अधिक नियुक्त नियुक्तियां कीं। इसके बाद सीएम गहलोत के कामकाज की समीक्षा की गई। बजट के बाद सीएम गहलोत अपने मंत्रिमंडल में भी सब कुछ कर सकते हैं।
कांग्रेस में अलग-अलग बने हुए सच में अपनी ही पार्टी की सरकार को निशाने पर लेकर अपनी भूमिका निभा रहे हैं। 2020 में उन्होंने कुछ पाने की मदद से सरकार गिरने की कोशिश भी की थी। अशोक गहलोत पर आरोप लगाया गया था कि सचिन पायलट ने ब्रॉक के साथ ऐसा किया था। उन्होंने इसे “ऑपरेशन लोटस” का हिस्सा बताया।



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