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2 करोड़ का मुआवजा घोटाला? विधानसभा में गूंजा सवाल, राजस्व मंत्री ने दिए जांच के निर्देश!

UNITED NEWS OF ASIA. रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन नए विधायकों के लिए राजधानी में जमीन आवंटन का मुद्दा गरमाया। विधायक धर्मजीत सिंह और राजेश मूणत ने यह सवाल उठाया, जिस पर राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने जवाब देते हुए कहा कि नवा रायपुर के नकटी गांव में जमीन देने पर विचार किया जा रहा है, लेकिन अंतिम निर्णय अभी लंबित है।

विधायकों के निवास के लिए जमीन आवंटन का मुद्दा गर्माया

विधायक धर्मजीत सिंह ने कहा कि नए विधायकों के पास राजधानी में रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। इस पर मंत्री टंकराम वर्मा ने बताया कि यह मामला संसदीय कार्य मंत्री केदार कश्यप और विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के संज्ञान में है और जल्द ही इस पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

NH-200 मुआवजा विवाद: आंकड़ों में भारी अंतर

विधायक उमेश पटेल ने रायगढ़ जिले के राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-200) में भूमि अधिग्रहण और मुआवजे से जुड़ी विसंगतियों पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पहले 820.783 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण की बात कही गई थी, जबकि बाद में यह आंकड़ा घटकर 141.23 हेक्टेयर रह गया। विधायक ने सवाल किया कि तीन बार अलग-अलग जवाब क्यों दिए गए?

इस पर राजस्व मंत्री वर्मा ने जवाब दिया कि दोनों उत्तरों में अंतर क्यों आया, इसकी जांच करवाई जाएगी। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि 820 हेक्टेयर और 143 हेक्टेयर का इतना बड़ा अंतर कैसे हो सकता है? इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों को लिखित में अपनी शिकायत देने को कहा और उचित समाधान का आश्वासन दिया।

मुआवजा घोटाले का आरोप, जांच के निर्देश

विधायक उमेश पटेल ने कहा कि कई प्रभावित किसानों को मुआवजा नहीं मिला, जबकि कुछ को बिना भूमि प्रभावित हुए ही 2 करोड़ रुपए का मुआवजा दे दिया गया। उन्होंने सवाल किया कि क्या अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई होगी? इस पर मंत्री ने कहा कि यह मामला 2005 से जुड़ा है और इसकी जांच करवाई जाएगी।

कब हटेगा NH-200 से पुराना प्रतिबंध?

विधायक ने यह भी सवाल किया कि NH-200 के पुराने सर्वे को कब हटाया जाएगा? मंत्री ने बताया कि निर्माण कार्य शुरू होने से पहले भूमि को प्रतिबंधित किया गया था, ताकि नए निर्माण के लिए बार-बार भूमि अधिग्रहण न करना पड़े। हालांकि, इस प्रतिबंध को कब हटाया जाएगा, इसकी कोई निश्चित समय-सीमा नहीं बताई गई।

विधानसभा में उठे इन तीखे सवालों से सरकार पर दबाव बढ़ा है और अब सभी की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि राजस्व विभाग कब तक इन मुद्दों का समाधान करता है।

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